Atmadharma magazine - Ank 291
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: पोष : २४९४ आत्मधर्म :२९:
[८५] छहढाला (मूळ) स्वाध्याय माटे उपयोगी किं. १प पैसा
[८६] समयसार [हिन्दी] मूळ संस्कृत टीका सहित हिंदी अनुवाद किं. पांच रूपीया.
[८७] प्रवचनसार [हिन्दी] मूळ संस्कृत टीका सहित हिन्दी अनुवाद किं. चार रूपिया
(८८) मंगल तीर्थयात्रा: पू. श्री कानजीस्वामीए सं. २०१३मां सम्मेदशिखरजी वगेरे पचास
जेटला प्रसिद्ध तीर्थोनी संघसहित यात्रा करी तेना आनंदभर्या संस्मरणो. तेमां
तीर्थयात्रानुं एवुं रोमांचक वर्णन छे के वांचतां वांचतां तीर्थयात्रा करता होईए तेवा
आह्लाद थाय छे. बसो जेटला तीर्थयात्रानां द्रश्यो छे. ठेर ठेर तीर्थ महिमा संबंधी
गुरुदेवना उद्गारो छे. किं. छ रूपीया.
(८९) छहढाला (मराठी आवृत्ति) कारंजा प्रकाशीत
(९०) जैन बालपोथी [मराठी आवृत्ति] कारंजाथी प्रकाशीत
(९१) द्रव्यसंग्रह [हिन्दी नवी आवृत्ति] (जुओ नं. २०) किं : ०–८प
(९२) योगसार व उपादान–निमित्त दोहा [हिन्दी आवृत्ति] (अप्राप्त)
(९३) समयसार कलशटीकाः समयसार टीकामां अमृतचंद्राचार्यदेवे रचेला कलशनी हिंदीटीका
पं. श्री राजमल्लजीए लखेल छे. सुंदर अध्यात्मरसपूर्ण पुस्तक छे. गुरुदेवना प्रवचनमां
वंचाय छे. किंमत: २–७प (गुजराती : किं: २–प०)
(९४) पंचास्तिकायः संग्रहः [हिन्दी] मूळ संस्कृतटीका सहित हिन्दी अनुवाद किं. ३–प०
(९५) छहढाला [हिन्दी–सचित्र] (जुओ नं. ४) किं. : एक रूपीओ.
(९६) पुरुषार्थ सिद्धिउपाय: श्री अमृतचंद्राचार्य विरचित, जेमां श्रावकना सम्यग्दर्शनादि
धर्मोनुं वर्णन छे.....गुजराती अनुवाद किं: २–००
(९७) नियमसार [हिन्दी] मूळ संस्कृत टीका सहित हिन्दी अनुवाद: किं : चार रूपीआ
(९८) अध्यात्म सन्देश: त्रण चिठ्ठी (बनारसीदासजीनी बे तथा टोडरमल्लजीनी एक) तेना
उपर अध्यात्मभावोथी भरपूर प्रवचनो: सम्यग्दर्शन संबंधी अने स्वानुभव संबंधी घणुं
सरस वर्णन छे...दरेक जिज्ञासुने अंतरंग अभ्यास माटे खास उपयोगनुं छे. गुजरातीमां
(अप्राप्त) हिन्दीमां मात्र टोडरमल्लजीनी एक चिठ्ठि उपरनां प्रवचनो: किं: १–प०
(९९) मोक्षमार्ग प्रकाशकः जयपुरना शास्त्रभंडारमां पं. टोडरमल्लजीनी पोतानी हस्तलिखित
प्रतिने अनुसार तैयार करवामां आवेल आधुनिक हिंदी आवृत्ति किं: बे रूपीआ
(गुजराती किंमत त्रण रूपीआ)