Atmadharma magazine - Ank 291
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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:३०: आत्मधर्म : पोष : २४९४
(१००) समाधितंत्र: पूज्यपादस्वामी रचित भेदज्ञाननी भावनानो खास ग्रंथ, अत्यंत सुबोध
शैलिमां छे, तेनुं गुजराती भाषांतर: किं: बे रूपीआ
(१०१) शास्त्रस्वाध्याय: स्वाध्याय माटेनुं पुस्तक–जेमां समयसार, प्रवचनसार, नियमसार,
योगसार उपादाननिमित्तना दोहा तथा छहढाळा छे: (अप्राप्त)
(१०२) मोक्षमार्ग प्रकाशकनो सातमो अध्याय–जेमां जैनमतानुयायी मिथ्याद्रष्टिनुं स्वरूप
समजाव्युं छे, ने निश्चय–व्यवहार वगेरेनुं यथार्थ स्वरूप समजाव्युं छे ते जिज्ञासुओने
विशेष उपयोगी होवाथी अलग छपायेल छे: (हिन्दीमां)
(१०३) नियमसार हरिगीत (हिन्दी) किं. ०–२प
(१०४) समाधितंत्र (दोहा) स्वाध्याय माटे उपयोगी: किं. ०–१प
(१०प) श्रावकधर्मप्रकाश: पद्मनंदी पचीसीना देशव्रतउद्योतन अधिकार उपर सुंदर प्रवचनो –
जे भावभीनी शैलीथी श्रावकनुं कर्तव्य समजावे छे, ने देव–गुरु–धर्मनुं स्वरूप
समजावीने विशेष भक्ति जगाडे छे. सौने समजाय तेवी सुगम शैलीमां: किं: बे रूपीआ
(१०६) समयसार–कळश टीका: गुजराती अनुवाद (जुओ नं. ९३) किंमत: २–प०
(१०७) अनुभवप्रकाश–प्रवचनो: स्वानुभवनी प्रेरणा आपनारां प्रवचनो: किं. : २–प०
(१०८) ‘आत्मवैभव’ : ४७ शक्ति उपरनां खास प्रवचनो–जे आत्मवैभवनो अद्भुत
महिमा समजावीने स्वानुभव माटे आत्मामां झणझणाट पेदा करे छे: सुंदर पुस्तक:
किंमत: ३–प०
पुस्तको मंगाववानुं सरनामुं: श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)
आ उपरांत ‘आत्मधर्म मासिक’ –जेनुं रजत जयंतिनुं वर्ष चाली रह्युं छे ने जे आपना
हाथमां ज छे. ते पण जरूर मंगावो: हिंदी लवाजम त्रण रूपिया: गुजराती–चार रूपिया.
बाळकोने उपयोगी पुस्तको: भगवान महावीर (०–१प) भगवान ऋषभदेव