: पोष : २४९४ आत्मधर्म :३९:
प्रश्नोना जवाब लखनार सभ्योना नंबर
२१प, ३९६, ८८२, ८८३, ८८४, ८८प, ३१८, १६९४ थी १६९८, ४११, ६६६, ६६७ ३९२, ८१२, २१८,
१, २, ३, ४, ३८४, ४३१, ४३२, ३७२, ३७३, ९८४, ९२७, ६२४, १७प४, १३प१, १९९प, १९९६, १९९७, ११प,
३३३, ३३४, ३३प, ३३६, प६६, पप०, ११७, ८०
गतांकमां पूछेली पांच वस्तुनी पूर्णता
(३१) (पांच समिति) ईर्यासमिति, भाषा, एषणा, आदाननिक्षेपण, प्रतिष्ठापनसमिति
(३२) (पांच परावर्तन) द्रव्यपरावर्तन, क्षेत्रपरावर्तन, काळपरावर्तन, भावपरावर्तन, भवपरावर्तन
(३३) पांच हेयतत्त्वो; (छोडवा जेवा) अजीव, पुण्य, आस्त्र, बंध, पाप.
(३४) (पांच टूंक गीरनारनी) १–जिनमंदिर अने राजुलानी गुफा, २– अनिरूद्धटूंक, ३–शंबुकुमारनी टूंक, ४–प्रद्युम्ननी
टूंक, प–नेमिनाथ भगवाननी मोक्षटूंक
(३प) (पांच अक्षर परमेष्ठीना) अ...सि...आ...उ...सा
(३६) (पांच परमेष्ठीना प्रथम अक्षर “मां) अ...अ...आ...उ...म्
(३७) (पांच लघुस्वर; अयोगीगुणस्थानना काळनुं माप) अ इ उ ऋ, लृ
नं. (३४) मां जणावेल शंबु अने प्रद्युम्न ए श्रीकृष्णना पुत्रो हता, तथा अनिरूद्ध ए प्रद्युम्नना पुत्र हता.
ते त्रणे गीरनार उपरथी मोक्ष पाम्या छे, त्रण टूंको उपर तेमनी चरणपादूका छे. पांचमीटूंक (जेने हिन्दु लोको
गुरुदत्तात्रयनी टूंक तरीके ओळखे छे) ते खरेखर नेमिनाथभगवानना मोक्षनी टूंक छे. ने त्यां जे पगलां छे ते
नेमिनाथप्रभुना छे. तेनी बाजुमां (जराक नीचे) पर्वतना मूळ पत्थरमां श्री नेमिनाथप्रभुनी मूर्ति कोतरेली छे.
सहेस्रावन (सहस्रआम्रवन) मां भगवाननी दीक्षा तथा केवळज्ञाननी उत्पत्ति थयेल छे–ते पण खास पूज्य स्थान छे.
त्यांनुं वातावरण घणुं ज उपशांत वैराग्यमय छे. गौमुखीगंगाना गोखलामां २४ तीर्थंकरोनां पगलां स्थापेला छे.
राजुलगूफाथी थोडे दूर चंद्रगूफा (जेमां धरसेन गुरु रहेता ते) छे–अत्यारे ते गूफाने गोरजीनी गूफा (एटले
के गुरुजीनी गूफा) तरीके त्यांना माणसो ओळखे छे.
भगवाननां दर्शन
(१) श्री भगवाननां दर्शन आपणे एटला माटे करीए छीए के, आपणे पण भगवान जेवा थवुं छे.
(२) आपणा आत्मामां पण भगवान थवानी शक्ति छे. जेवो भगवानना आत्मानो स्वभाव छे तेवो ज आपणा
आत्मानो स्वभाव छे.
(३) आ भगवानने पूरेपूरुं ज्ञान छे तेम आपणामां पण पूरेपूरो ज्ञानस्वभाव छे.
(४) आ भगवानने जराय रागद्वेष नथी, तेम आपणा आत्मस्वभावमां पण जराय राग–द्वेष नथी.
(प) भगवान जेवो पोतानो आत्मा छे–एवो विश्वास करवो तेनुं नाम सम्यग्दर्शन छे.