Atmadharma magazine - Ank 291
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 41 of 45

background image
:३८: आत्मधर्म : पोष : २४९४
गतांकना प्रश्नोना जवाब
(१) आ भरतभूमिमां ज्यारे श्रीकृष्ण अने पांडवो थया त्यारे भगवान नेमिनाथ तीर्थंकर
विचरता हता; नेमिनाथ अने श्रीकृष्ण बंने पीतराई भाई थाय. श्रेणीक राजा अने
जंबुस्वामीना वखतमां भगवान महावीर विचरता हता. भरतचक्रवर्तीना वखतमां
तेमना पिताजी भगवान ऋषभदेव विचरता हता.
(२) पोन्नूरमां जतां भगवान कुंदकुंदाचार्यदेव याद आवे छे; ते तेमनी तपोभूमि छे.
श्रवणबेलगोल (मैसुर) मां भगवान बाहुबलीनी सौथी मोटी प्रतिमा ईन्द्रगिरि पर्वत
उपर छे. सामेनी पहाडी उपर भगवान भद्रबाहुस्वामीनी गूफा छे. अयोध्यामां भगवान
आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदनस्वामी, सुमतिनाथ अने अनंतनाथ तीर्थंकरो, तथा
भरतचक्रवर्ती, बाहुबली अने रामचंद्रजी वगेरे जन्म्या छे. सम्मेदशिखरजीनी छेल्ली टूंकेथी
भगवान पारसनाथ मोक्ष पधार्या छे. पावापुरीथी भगवान महावीर मोक्ष पधार्या छे.
राजगृहीमां मुनिसुव्रतनाथ भगवानना चार कल्याणक तेमज वीरनाथनी दिव्यध्वनिनो
प्रारंभ थयेल छे. श्रेणीक राजा अने चेलणा राणी अहीं थया छे. भगवाननुं भक्त एक
देडकुं ते पण आ ज नगरीमां थयुं छे (तेनी वार्ता आ अंकमां तमे वांचशो) शौरीपुरमां
नेमिनाथ भगवान जन्म्या, तथा चार मुनिवरो (धन्य मुनि वगेरे) अहीं अंतकृत केवळी
थया छे. शत्रुंजय तो सोनगढमां ऊभाऊभा रोज देखाय छे त्यांथी त्रण पांडवभगवंतो
मोक्ष पाम्या छे. हस्तिनापुरमां शांतिनाथ–कुंथुनाथ–अरनाथ त्रण तीर्थंकरो (चक्रवर्ती)
थया. ऋषभदेवनुं वर्षीतपनुं पारणुं श्रेयांसकुमारे आ नगरीमां ज कराव्युं.
भरतचक्रवर्ती, रामचंद्रजी, ऋषभदेव, बाहुबली, अनंतनाथ, अजितनाथ, अभिनंदन
भगवान ने सुमतिनाथ ए बधाय अयोध्यामां थया छे.
कोयडानो जवाब:– चार अक्षरनुं नाम छे, जगजाहेर भगवान छे,
ए वीर प्रभुनुं बीजुं नाम ‘अतिवीर’ भगवान छे.
आ वखते नवा प्रश्नो पूछ्या नथी; परंतु पूंठा उपर छेल्ला पाने चार चित्रो छाप्या छे ते
क्यांना हशे? ए तमारे ओळखी काढवानुं छे. न ओळखी शको तो आवता अंकमांथी ओळखी
लेजो. नवा सभ्योना नाम, अने नवा प्रश्नो आगामी अंके आपीशुं.