:२: आत्मधर्म : पोष : २४९४
आटला उपोद्घात पछी हवे शास्त्रमाळाना १०८ पुष्पोनो परिचय शरू करीए छीए:–
(पुष्प: १) समयसार–प्रवचनो: समयसार–प्रवचनोनां कुल पांच पुस्तको प्रगट थयां छे. तेमां
आ पहेलुं पुस्तक सं. २००१ मां शास्त्रमाळाना पहेला पुस्तक तरीके प्रगट थयुं. जो के आ
पहेलांं सं. १९९९ मां आत्मसिद्धिप्रवचनो वगेरे पुस्तकोनुं प्रकाशन थयेलुं, पण
शास्त्रमाळानी शरूआत सं. २००१ मां थई. ‘समयसार–प्रवचनो’ पहेला पुस्तकमां गाथा
१ थी १३ सुधीनां प्रवचनो छे. किंमत रूा. चार समयसार–प्रवचनो (पुस्तक बीजुं) गाथा
१४ थी २२ तथा गा. ३१ उपरनां प्रवचनो: (अप्राप्त)
(पुष्प: २) समयसार–प्रवचनो (पुस्तक त्रीजुं) : आमां गा. २३ थी ६८ सुधीनां प्रवचनो
छे. आ समयसार–प्रवचनो पुस्तक त्रीजुं–चोथुं ने पांचमुं ए त्रणे पुस्तकोनी ए विशेषता
छे के तेमां छपायेलां प्रवचनो पू. बेनश्री अने पू. बेन (बंने बहेनो) द्वारा लखायेलां छे;
ने अंतरमां भेदज्ञानना उद्यम माटेनी उत्तम प्रेरणा आपे छे. दरेकनी किंमत रूा. त्रण.
पुस्तक चोथामां कर्ताकर्म अधिकार–प्रवचनो छे; अने पुस्तक पांचमामां बंधअधिकार–प्रवचनो छे.
(३) जिनेन्द्रपूजन–संग्रह: सं. २००१ मां नानकडुं पूजनसंग्रह प्रसिद्ध थयेल तेमां वृद्धि थतां
थतां आज तो ते पुस्तक पांचसो उपरांत पानानुं बन्युं छे, ने तेनी अनेक आवृत्ति
छपायेल छे. जिनेन्द्रपूजननो प्रचार दिनेदिने केवो वृद्धिगत थयो–तेनो ख्याल आ
जिनेन्द्रपूजासंग्रह उपरथी आवे छे. किंमत बे रूपिया.
(४) छहढाला (गुजराती) : पं. श्री दौलतरामजी कृत छहढाळा के जे शिक्षणवर्गमां
पाठ्यपुस्तक तरीके पण चाले छे, ने गुजराती भाषामां छपायेल छे. छहढाळा
स्वाध्यायने महान तप गणवामां आव्युं छे.
श्रावकना हंमेशना छ कर्तव्यमां पण शास्त्रस्वाध्यायनो उपदेश छे.
भावज्ञानना अवलंबन वडे द्रढ करेला परिणामथी सम्यक्
प्रकारे जिनशास्त्रनो अभ्यास करवो ते मोहक्षयनो उपाय छे एम
प्रवचनसार गा. ८६ मां कह्युं छे.