:४: आत्मधर्म : पोष : २४९४
उपयोग थाय छे. ज्ञान–वैराग्य ने भक्तिरसथी नीतरतां भजन–स्तवनो पू. बंने
बहेनो उपशांतभावथी गवडावता होय त्यारे जिनमंदिरनुं वातावरण मुमुक्षुभक्तोना
चित्तने जिनभक्तिमां थंभावी दे छे. भक्ति माटेना आ चारे पुस्तकोनो पण सारो
प्रचार छे. चारे पुस्तकनी अनेक आवृत्ति द्वारा लगभग त्रीसहजार जेटलां पुस्तको
छपाया छे.
जिनेन्द्रस्तवनावली कि. ०–७प जिनेन्द्रस्तवनमाळा किं. –१–१२
जिनेन्द्र भजनमाळा किं. १–०० जिनेन्द्र स्तवनमंजरी (अप्राप्त)
(८) नियमसार प्रवचनो: शुद्धात्मभावनाथी भरपूर नियमसार उपर पू. गुरुदेवनां
प्रवचनोमांथी बे पुस्तक छपाया छे. पहेलां पुस्तकमां शुद्धजीव–अधिकार (गा. १ थी
१९) उपरनां प्रवचनो छे. (अप्राप्त) बीजा पुस्तकमां शुद्धभाव अधिकारनी पांच
गाथा (३८ थी ४२) उपरनां प्रवचनो छे. किं. १–६२
(९) आत्मसिद्धि गाथा: श्रीमद्राजचंद्रजीनी ‘आत्मसिद्धि’ –जे स्वाध्याय माटे सर्वे
जिज्ञासुओने उपयोगी छे. अनेक आवृत्ति छपायेल छे: किं. ०–१३
(१०) जैनसिद्धांतप्रवेशिका: शिक्षणवर्गनुं ने पाठशाळाओनुं पाठ्यपुस्तक (पंडित श्री
गोपालदासजी बरैया रचित) शास्त्रना अभ्यासनी पूर्वभूमिकारूपे उपयोगी छे. ने
जैन–शब्दकोश जेवुं काम आपे छे. (अप्राप्त) (हिंदी सुरतथी मळे छे.)
(११) समयसार–प्रवचन: भाग २ (विगत माटे जुओ पुष्प नं. १ मां)
(१२) आत्मसिद्धि–सार्थ: आत्मसिद्धि अर्थ सहित, जिज्ञासुओने स्वाध्याय माटे उपयोगी छे.
मूल्य ०–२प
(१३) मुक्ति का मार्गः हिंदीमां जेनी २३००० जेटली नकलो छपाई गई छे; ते सुप्रसिद्ध
पुस्तक (विगत माटे जुओ पुष्प नं. ६ मां) पांचमी ने छठी आवृत्ति खास
संशोधनपूर्वक छपायेल छे.
आ पुस्तको मंगाववा माटे नीचेना सरनामे लखवुं–
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट,
सोनगढ (सौराष्ट्र)
रवानगी खर्च अलग समजवुं. जुओ, कमिशन संबंधी माहिती माटे गतांकमां जुओ,
अथवा बाजुना सरनामे पूछावो.