Atmadharma magazine - Ank 293
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: ३४ : आत्मधर्म : फागण : २४९४ :
पांच प्ा्रश्नोना जवाब
(१) तीर्यंचने तो पांच छे, देव–नारकने चार; मनुष्यने तो चौद छे. एनो करो विचार.
–ए गुणस्थानो छे; तिर्यंचने एकथी पांच गुणस्थान होई शके छे. देव अने
नारकीजीवोने एकथी चार गुणस्थान होई शके छे; अने मनुष्यजीवोने एकथी
चौद–बधाय गुणस्थानो होई शके छे. –आथी ज मनुष्यगतिने उत्तम गणी छे.
मुनिदशा, केवळज्ञान एवा उत्तम पद मनुष्यगतिमां ज छे.
(२) अरिहंत भगवान एवा छे के तेमने समस्त श्रुतनुं ज्ञान छे. पण तेमने श्रुतज्ञान
नथी, तेमने तो केवळज्ञान छे.
(३) सम्यग्द्रष्टि–साधक महात्मा एवा छे के तेमने श्रुतज्ञान छे अने श्रुतनुं पण साचुं
ज्ञान छे.
(४) जगतमां सिद्धभगवान झाझा छे ने मनुष्यो थोडा छे. मनुष्यो संख्याता ज छे ने
सिद्ध भगवंतो तो अनंतानंत छे. –आ तो एवुं थयुं के भक्तो थोडा.....ने
भगवंतो झाझा!
(प) (१) ऋषभदेव तीर्थंकरनां पुत्र भरतराज चक्रवर्ती हता. (आ उपरांत ऋषभदेव
भगवान पोेते पण पूर्वभवमां, विदेहक्षेत्रनी पुंडरगीरीनगरीमां वज्रसेन
तीर्थंकरना पुत्र, वज्रनाभि नामना चक्रवर्ती थया हता. शांतिनाथ भगवान
पण पूर्वे पांचमां भवे, विदेहक्षेत्रना रत्नसंचयपुरमां क्षेमंकर तीर्थंकरना पुत्र
वज्रयुध चक्रवर्ती हता.
(२) भगवान ऋषभदेव फागण वद नोमना दिवसे जन्म्या हता. –क्यां?
–अयोध्यामां; अने तेमणे दीक्षा पण फागण वद नोमना दिवसे लीधी हती.
(३) जेमने १०१ पुत्रो हता ने बधाय ते भवे मोक्ष पाम्या–ए पण एना ए
भगवान!
(४) ए पण भगवान ऋषभदेव तीर्थंकर–के जेमना पुत्रो तेमना गणधरो
थया. जो के आवा बीजा पण दाखला छे. पण आपणे तो अहीं भूतकाळमां
थई गयेलानी ज वात छे. भविष्यकाळमां थवाना होय तेनो उल्लेख
अत्यारे अहीं नथी करता.