
करीने वद त्रीजे पोरबंदर पधारशे. त्यारबाद फा. वद १२ जेतपुर, चैत्र सुद १
गोंडल, चैत्र सुद ४ (बीजी) वडीआ, चैत्र सुद ८ मोरबी, चै. सुद १२ वांकानेर,
चै.वद २ चोटीला, चैत्र वद ३ थी १३ सुरेन्द्रनगर–वढवाण अने जोरावरनगर ए
त्रण गाम, चैत्र वद १४ थी वै.सु. ६ वींछीया; वै.सु. ७–८ उमराळा अने वै.सु.९ थी
दिवसे ता.१३–प–६८ थी विद्यार्थीओ माटेनो धार्मिक शिक्षणवर्ग शरू थशे.
त्यारे बीजी सखी कहे छे–मारा नयनमां कृष्ण एवा ठांसी ठांसीने भर्या छे
छलकाय छे के तेमां आंजण समाय एटली पण जग्या बाकी रही नथी.
तेम धर्मीनी द्रष्टिमां चैतन्य प्रेम एवो भयोेर् छे के तेमां हवे बीजो
कोई रागनो अंश पण समाय तेम नथी. चैतन्य प्रभुना पूर्ण प्रेममां रागने
माटे कोई अवकाश ज नथी रह्यो. एना आत्मामां चेतन–राम वस्या छे,
तेमां हवे अन्य कोई भावो समाय तेम नथी.