Atmadharma magazine - Ank 293
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २४९४ : आत्मधर्म : ३९ :
बालविभाग–नवा सभ्यो
२०२प सुधीरकुमार छबीलदास जैन सुरत
२०२६ हरीशकुमार नरभेराम जैन जामनगर
२०२७ सुलोचनाबेन डाह्यालाल जैन जांबुडी
२०२८ एल.बी. जैन मुंबई–७१
२०२९ जयकुमार मदनमोहन जैन मुंबई–२८
२०३० हसमुखलाल डायालाल जैन साबली
प्रश्नोना जवाब मोकलनार
सभ्योना नंबर
१३९, १४० ३८४ ३८प २१प ११प
३३३ ३३४ ३३प ३३६ १३८२ ४३१
४३२ ८० २१८ ९३८ २४३ २४६ ७९
H. D. जैन १९९प १९९६ १९९७.
सौथी सस्तुं....अने छतां सौथी उत्तम!
तमे जाणो छो.....जैनसमाजमां ए कई वस्तु छे के जे
सौथी सस्ती छतां सौथी ऊंची छे ?
अरे, ते तमारा हाथमां ज होवा छतां केम विचारमां पडी गया?
आपणुं आ ‘आत्मधर्म’ मासिक, –जैनसमाजमां केटलाय पत्रो प्रकाशीत थाय छे
तेमां सौथी सस्तुं छे...अने सौथी उत्तम तो छे ज.
आत्मधर्मनुं लवाजम चार रूपिया–ए बधा पत्रोना लवाजममां ओछामां ओछुं
छे अने ते तमने जे अध्यात्मसाहित्य आपे छे ते सौथी ऊंचामां ऊंचुं छे. नानां
बाळकोने पण ते उत्तम संस्कार आपे छे.
–तो पछी ते कोण न मंगावे ?
लखो :
जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ (सौराष्ट्र)
छ रूपियामां पचास तीर्थोनी यात्रा
तमारे आखा घरने मात्र छ रूपियामां भारतना सुप्रसिद्ध पचास जेटला
तीर्थोनी यात्रानो आनंद लेवो छे?
–हा!
तो “मंगल तीर्थयात्रा” पुस्तक वांचो...अने घेर बेठां सम्मेदशिखर,
राजगृही वगेरे पवित्र तीर्थोनी भावभीनी यात्रानो आनंद अनुभवो...साथे साथे
ए तीर्थोना सेंकडो पावन द्रश्योना पण आपने दर्शन थशे, ने यात्राप्रसंगमां
सन्तोना भक्तिभर्या उद्गारो ने भावनाओ पण जाणी शकाशे.
किंमत छ रूपिया (रजिस्टर–पोस्टेजना सवा बे रूा. वधु)
पुस्तक माटे लखो : जैन स्वाध्याय मंदिर, सोनगढ (सौराष्ट्र)