Atmadharma magazine - Ank 293
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: ४० : आत्मधर्म : फागण : २४९४ :
गतांकना बीजा चित्रमां पचीस जेटला पोलीसनी टूकडी वच्चे गुरुदेव ऊभेला
छे, ने पोलीसो भरीबंदूक ऊंची करीने सलामी आपी रह्या छे, ते द्रश्य देवगढना पर्वत
उपरनुं छे. सं. २०१प नी यात्रा वखते मध्यप्रदेशमां बुंदेलखंडमां देवसिंह वगेरे
बहारवटीयाओनो घणो भय हतो, तेथी ज्यारे आपणो संघ ललितपुरथी देवगढ तरफ
जतो हतो त्यारे त्यांनी राज्यसरकारे यात्रा–संघनी रक्षा माटे पोलीसपार्टीनो खास
बंदोबस्त करेलो. प्रवास वखते दरेक बसमां भरी बंदूके त्रणचार पोलीसो साथे रहेता.
ज्यारे देवगढनी यात्रा पूरी थई त्यारे गुरुदेवनो महान पुण्यप्रभाव देखीने देवगढ–
पर्वत उपरना चोकमां पोलीस अमलदारोए सलामती द्वारा जे बहुमान व्यक्त कर्युं तेनुं
आ द्रश्य छे. देवगढ एटले देवोनो गढ–के ज्यां प्राचीन कळाथी सुशोभित हजारो–
लाखोनी संख्यामां जिनप्रतिमाओ बिराजी रह्या छे. अहींने माटे एवी कहेवत छे के,
तमे चोखानी गुणी भरीने लई जाओ ने अहींनी दरेक प्रतिमा पासे चोखानो एकेक
दाणो मुको तोपण ते चोखा पूरा न थाय–एटली प्रतिमाओ अहीं छे. ए देवगढना
देवदरबारनुं एक मजानुं द्रश्य आवता अंकमां आपीशुं.
सोनगढमां विद्यार्थीओ माटेनो जैनदर्शन शिक्षण वर्ग वैशाख वद १
ता.१३–प–६८ थी शरू थईने २० दिवस चालशे.