अनुभवतुं होय छे. जन्मस्थाननी बाजुमां उजमबा–स्वाध्यायगृहमां बेठां बेठा गुरुदेवने
६०–७० वर्ष जुनां स्मरणो ताजा थता हता. अहा, विदेहीनाथने सेवीने गुरुदेव अहीं
आ घरमां आव्या तो ए विदेहीनाथने पण नानकडा घरमां साथे ज लाव्या. पोताना
जन्मघरमां बिराजमान विदेहीनाथ सीमंधरप्रभुने भावथी अर्घ चढावीने पूजन
कर्युं....प्रवचनमां समयसारनी २०६मी गाथा द्वारा ग्राम्यजनताने पण समजाय एवी
सुगम शैलीथी आत्मतत्त्वनी प्रीति करवानो उपदेश आप्यो. ‘आ तो आपणा गामना
महाराज, आ तो ओला मोतीचंदभाईना दीकरा....’ एवा गौरव साथे लागणीपूर्वक
गामनी दरेक वर्गनी जनता गुरुदेवना दर्शनमां तथा प्रवचनमां होंशथी भाग लेती हती.
सोनगढथी मात्र छ सात गाउ नजीक उमराळा छे. ४६ वर्ष पहेलां गुरुदेवने (सं.१९७८
मां) “ ओंकारनादना भणकार अहीं उमराळामां आव्या हता...गुरुदेवनी वय ते वखते
मात्र ३३ वर्षनी; ३३ वर्ष पहेलां ज सांभळेल तीर्थंकरनी वाणीना भणकारा आ
आत्मामां गुंजता हता....एटले ए जिनवाणी–अनुसार मार्ग सिवाय बीजा कोई
मार्गमां एमने चेन नहोतुं पडतुं. अंते जिनमार्ग प्राप्त करीने जगतमां ते प्रसिद्ध कर्यो.
हतो. घाटकोपरनी आपणी भजनमंडळीए पण बंने दिवस भक्तिनो कार्यक्रम कर्यो हतो.
बे दिवसनुं नगरीनुं उमंगभर्युं वातावरण जोतां आ उमराळानगरी जाणे के अयोध्यानी
बेनपणी होय! एम लागतुं हतुं.
शहेरनी जनताए छ दिवस उत्साहथी गुरुदेवना प्रवचनादिनो लाभ लीधो.
धार्मिक शिक्षणवर्ग शरू थयो.....वर्गमां ३०० उपरांत विद्यार्थीओ हता...जेमां महाराष्ट्रना
सोलापुर वगेरेना अनेक शिक्षक भाईओ पण आव्या हता. हिन्दी भाषा पण मांड मांड
समजवा छतां तेमणे शिक्षणवर्गमां भाग लीधो हतो. वैशाख वद छठ्ठे समवसरण–
प्रतिष्ठाने २७ मुं वर्ष बेठुं –ते प्रसंगे जिनेन्द्रदेवनी रथयात्रा नीकळी