Atmadharma magazine - Ank 296
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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जेठ : २४९४ : आत्मधर्म : २३ :
माताना वात्सल्यभर्या संभारणां ज एवा होय छे के ते याद करतां हैयुं रोमांच
अनुभवतुं होय छे. जन्मस्थाननी बाजुमां उजमबा–स्वाध्यायगृहमां बेठां बेठा गुरुदेवने
६०–७० वर्ष जुनां स्मरणो ताजा थता हता. अहा, विदेहीनाथने सेवीने गुरुदेव अहीं
आ घरमां आव्या तो ए विदेहीनाथने पण नानकडा घरमां साथे ज लाव्या. पोताना
जन्मघरमां बिराजमान विदेहीनाथ सीमंधरप्रभुने भावथी अर्घ चढावीने पूजन
कर्युं....प्रवचनमां समयसारनी २०६मी गाथा द्वारा ग्राम्यजनताने पण समजाय एवी
सुगम शैलीथी आत्मतत्त्वनी प्रीति करवानो उपदेश आप्यो. ‘आ तो आपणा गामना
महाराज, आ तो ओला मोतीचंदभाईना दीकरा....’ एवा गौरव साथे लागणीपूर्वक
गामनी दरेक वर्गनी जनता गुरुदेवना दर्शनमां तथा प्रवचनमां होंशथी भाग लेती हती.
सोनगढथी मात्र छ सात गाउ नजीक उमराळा छे. ४६ वर्ष पहेलां गुरुदेवने (सं.१९७८
मां) “ ओंकारनादना भणकार अहीं उमराळामां आव्या हता...गुरुदेवनी वय ते वखते
मात्र ३३ वर्षनी; ३३ वर्ष पहेलां ज सांभळेल तीर्थंकरनी वाणीना भणकारा आ
आत्मामां गुंजता हता....एटले ए जिनवाणी–अनुसार मार्ग सिवाय बीजा कोई
मार्गमां एमने चेन नहोतुं पडतुं. अंते जिनमार्ग प्राप्त करीने जगतमां ते प्रसिद्ध कर्यो.
उमराळाना बे दिवसना कार्यक्रम दरमियान जन्मधाममां खूब भक्ति थई
हती......पू. बेनश्रीबेने अनेकविध उल्लासभरी भक्ति द्वारा गुरुमहिमा प्रसिद्ध कर्यो
हतो. घाटकोपरनी आपणी भजनमंडळीए पण बंने दिवस भक्तिनो कार्यक्रम कर्यो हतो.
बे दिवसनुं नगरीनुं उमंगभर्युं वातावरण जोतां आ उमराळानगरी जाणे के अयोध्यानी
बेनपणी होय! एम लागतुं हतुं.
उमराळाथी पू. गुरुदेव लींबडीशहेर पधार्या; त्यांना जिनमंदिरना दश वर्ष पूर्ण
थया; वैशाख सुद १३ ना रोज जिनेन्द्रदेवनी भव्य रथयात्रा नीकळी हती. लींबडी
शहेरनी जनताए छ दिवस उत्साहथी गुरुदेवना प्रवचनादिनो लाभ लीधो.
वैशाख सुद पूर्णिमाए पू. गुरुदेव सोनगढ पधारता भक्तजनोए हैयाना
उमळकाथी स्वागत कर्युं....ने शांतधाममां अध्यात्मवर्षा शरू थई. वैशाख वद एकमथी
धार्मिक शिक्षणवर्ग शरू थयो.....वर्गमां ३०० उपरांत विद्यार्थीओ हता...जेमां महाराष्ट्रना
सोलापुर वगेरेना अनेक शिक्षक भाईओ पण आव्या हता. हिन्दी भाषा पण मांड मांड
समजवा छतां तेमणे शिक्षणवर्गमां भाग लीधो हतो. वैशाख वद छठ्ठे समवसरण–
प्रतिष्ठाने २७ मुं वर्ष बेठुं –ते प्रसंगे जिनेन्द्रदेवनी रथयात्रा नीकळी