Atmadharma magazine - Ank 296
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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जेठ : २४९४ : आत्मधर्म : २९ :
मीराबेन एम. जैन नं.७४१ ईन्दोर
राजेश्री नगीनदास जैन नं. प४३ ध्रांगध्रा
दीपककुमार जैन नं.११७ दिल्ही
भरतकुमार छोटालाल जैन नं.६४० लाठी
शैलेषकुमार धीरजलाल जैन नं.४प२ लाठी
सभ्य नं.४९ (नाम नथी) खेडब्रह्मा
देवजी एच. जैन मुंबई–३४
धीरज जैन उगामेडी
अजयकुमार सुमंतलाल जैन नं.८१ अमदावाद
अशोककुमार मणिलाल जैन नं.७१६ ––
भरतकुमार वसंतराय जैन नं.१३४० राजकोट
दीपककुमार वसंतराय जैन नं.१३४१ राजकोट
नयनाबेन जैन नं.११४२ अंकलेश्वर
राजेश एन.जैन मुंबई–९२
निखिलकुमार प्रतापराय जैन नं.९६१ कलकत्ता
भरतकुमार चंदुलाल जैन १७३प मुंबई–६७
हंसाबेन जैन ११३प मुंबई–९२
राजुलबेन जैन ११३८ मुंबई–९२
पारुलबेन वसंतलाल जैन १२प१ मुंबई–प८
मुकेशकुमार अमृतलाल जैन १७६प वडोदरा
सुधीर रतिलाल जैन नं.२८७ – –––
हसमुख जे. जैन ७२० मद्रास
प्रवीण सी. जैन ४४प अमदावाद
गुणवंतलाल अमृतलाल जैन २९ खेडब्रह्मा
मुकेशकुमार वी.जैन १८प जेतपुर
सतीशकुमार वृजलाल जैन १२३ वांकानेर
हसमुखराय रमणलाल जैन ६६प जामनगर
ज्योतिबाळा बाबुभाई जैन १७९० सोनगढ
कुसुमबाळा चंपकलाल जैन २४० जुनागढ
मुकेशकुमार चीमनलाल जैन २०३९ जुनागढ
किरणबाळा चंपकलाल जैन २०३८ जुनागढ
उषाबेन के जैन नं.१६११ वडीया
ि : महेशचंद्र जे जैन.
(Pre. Uni. Com. मोरबी)
भाईश्री महेशचंद्र जेवंतलाल जैन धार्मिक उल्लासपूर्व बालविभागमां भाग
लई रह्या छे. तेमनो निबंध अहीं आपेल छे. आ उपरांत तेमणे केटलाक धार्मिक
उखाणा पण मोकल्या छे. पहेली कक्षाना पांच लेखोमां आ लेखने स्थान मळ्‌युं छे.
बालविभाग द्वारा आत्मज्ञान माटेनो जे उत्साह मळे छे ते तेमणे आ निबंधमां व्यक्त
कर्यो छे. सभ्य नं.१३८)
(निबंधनी शरूआतमां रत्नत्रयने याद करीने तेओ लखे छे–)
बाळको ए तो कूमळा छोड जेवा तेने जेम वाळीए तेम वळे. भौतिक
सुखसमृद्धिना पंजा नीचे उछरी रहेला आजना बाळकोमां धार्मिक संस्कार माटे पूरतुं
ध्यान अपातुं नथी, –के जेनी अत्यंत जरूर छे. बाळको भौतिकसुख पाछळना खोटा
आनंदनुं अनुकरण न करे, ने भौतिक सुखसाधनोथी पार एवा आध्यात्मिक सुखना पंथे
वळे–ते माटे आत्मधर्मनो बालविभाग आजे हजारो बाळकोने आशीर्वाद समान छे.
बालविभागना मोटा फायदा अमारा नाना मुखेथी गणावी शकाय तेम नथी.
बालविभाग न होत तो, ‘अमे बाळक नथी पण जिनवरना सन्तान छीए’ एम अमने