Atmadharma magazine - Ank 296
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: ३० : आत्मधर्म जेठ : २४९४ :
कोण कहेत? बालविभाग न होत तो आ भौतिकवादी वातावरणमां अमारा जेवा
अबुध बाळको आत्मदर्शनना एकडा क्यांथी घूंटत? ने कोई दिवस सिद्धपदनी सीडी
क्यांथी प्राप्त करी शकत!
बालविभागमां आवतुं साहित्य खरेखर अमने संत–महात्माओनी वाणीनो
परिचय करावे छे ने तेमनो सत्संग करावे छे. अनेक महान पवित्र मुनिमहाराजोनी
वाणीनो लाभ, अमने समजाय तेवी टूंकी सादी ने सरळ शैलिथी बालविभाग आपे छे.
‘अमे तो जिनवरना सन्तान’ एवुं शीखवनारो बालविभाग, अमने सर्वे
सभ्योने–एटले के महान धर्मना वीरसंतानोने–परस्पर वात्सल्य ने आत्मज्ञाननी एक
पवित्र दोरीए बांधे छे. बालविभागद्वारा अमे सौ एकताना रंगे एवा रंगायेला छीए
के क्यांय झगडो रहेतो नथी. अमारो बधानो एक ज मार्ग छे–आत्मज्ञान मेळववुं...
आत्मिक आनंद मेळववो.
बालविभाग एटले खरेखर बाळको माटेनो, बाळकोद्वारा चालतो
आत्ममंथननो मार्ग. एमां आवती टचूकडी कथाओ धर्मना उत्तम संस्कार आपे छे.
बाळकोना हित माटे लक्ष आपीने उत्तम साहित्यद्वारा धर्मशिक्षणनो प्रचार खूब वधार्यो
छे. आजे नोवेलो अने वर्तमानपत्रोनुं प्रकाशन खूब वधी रह्युं छे–पण ए कुशास्त्रो जेवुं
साहित्य बाळकोने आध्यात्मिक संस्कार जराय आपी शकतुं नथी...ऊल्टा विपरीत
संस्कार पाडे छे. त्यारे आपणा बालविभागद्वारा पीरसातुं साहित्य वांचनभिक्षु
बाळकोने निर्दोष आनंद साथे मोक्षमार्गनी प्रेरणा आपे छे...एना जीवनने उत्तम
आदर्श तरफ लई जाय छे.
बालविभाग ए बाळकोनो ज छे, एनो दरेक सभ्य ए जाणे मुक्तिसेनानो
सैनिक छे–एम दरेक सभ्य तेने प्रेमथी चाहे छे...तेनी सेवामां, तेना विकासमां उत्साहथी
साथ आपे छे...एना संपादक पण बालविभागना सभ्यो प्रत्ये हार्दिक प्रेमथी तेने खूब
विकसावी रह्या छे.....तेथी बधा बाळको तेने पोताना भाई समान गणे छे. आ रीते
बालविभागनुं एक विशाळ कुटुम्ब छे.
आ रीते, भौतिक संपत्तिने तिलांजलि आपतो, ने आध्यात्मिक सुखना वाजां
वगाडतो आपणो बालविभाग महान फळदायी महान लाभदायी छे.
अमारा आत्मधर्मनो बालविभाग एमां नथी एकेय गेरलाभ,
ए तो बतावे वीरप्रभुनो मार्ग; जेना लाभ अनंत अपार,
–महेशचंद्र जेवंतलाल जैन (मोरबी)