Atmadharma magazine - Ank 296
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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जेठ : २४९४ : आत्मधर्म : ३७ :
ईनाम
बालविभागनी ईनामी योजनामां आवेल लेखोमांथी उत्तमकक्षाना पंदर
लेखोने ईन्डीपेन–बोलपेननो सुंदर सेट ईनाम तरीके (रजीस्टर पोस्टथी मोकलवामां
आवशे. ते पंदर लेखकना नामो आगामी अंकमां जाहेर थशे, तथा बाकीना बधा ज
लेख–चित्र वगेरे मोकलनारा सभ्योने ईनाम तरीके पुस्तको तथा फोटो (कुल लगभग
अढी रूपियानी किंमतना) पोस्टथी मोकलवामां आवशे.
आवेला लेखोमांथी केटलाक आ अंकमां आप्या छे, बीजा लेखोनुं अवलोकन
आगामी अंकमां आपीशुं.
ईनामो ता.१० जुन सुधीमां रवाना थई जशे. योजनामां भाग लेनार सौने
धन्यवाद! हवे पछीनी योजनामां आथी वधु उत्साहथी भाग लेजो.
१प सभ्योने ईन्डीपेन–बोलपेनना सेट भेट आपवा माटे रूा.प१ स्व.
जो सत्यारथरूप सो निश्चय, कारण सो वहारो
(छहढाळा)
आ मोक्षमार्ग–पर्यायनी वात छे.
निश्चयमोक्षमार्गरूप जे निर्मळपर्याय ते सत्यारथ छे, ते सत्यार्थ मोक्षमार्ग छे :
एटले के व्यवहार ते सत्यार्थ नथी; सत्यार्थ नथी एटले उपचार छे–असत्यार्थ छे.
रागादिने व्यवहार कारण कह्युं होय तो ते उपचार छे, ते सत्यार्थ कारण नथी. सत्यार्थ
मोक्षमार्ग तो एक निश्चय (शुद्ध पर्याय) ज छे.
रागादि उपचार कारणने ज्ञानी पोताना शुद्धस्वरूपमां भेळवता नथी. जो
भेळसेळ करीने बंनेने सरखा माने, (बंनेने सत्य माने) तो तेने साचा–सत्यार्थ–
निश्चय मोक्षमार्गनी खबर नथी. माटे एम समजवुं के जे निश्चय छे ते ज सत्यार्थ छे.
व्यवहार छे ते सत्यार्थ नथी पण मात्र उपचार छे–उपाधि छे. ते उपाधिने असली
स्वभाव न कहेवाय.