Atmadharma magazine - Ank 298
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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२९८
बंने सरखा
भगवाननो भक्त कहे छे के अरे ईन्द्र ! तुं
पण भगवाननी स्तुति करतां–करतां हारी गयो छतां
मारा जेवो मनुष्य भगवानने हृदयमां स्थापीने
स्तुति करवा उद्यमी थयो छे! केमके सर्वज्ञदेवनी
स्तुति करवा माटे कांई हजार जीभनी जरूर नथी
पडती, एने माटे तो अंतरनी श्रद्धारूपी एक ज जीभ
बस छे! ए श्रद्धावडे हुं सर्वज्ञदेवनी स्तुति करुं
छुं....तेमनो अंश मारामां प्रगट करीने पूर्णतानी
प्रशंसारूप–भावनारूप स्तुति करुं छुं. –आवी स्तुति
करवामां तो तुं ने हुं बंने सरखा छीए.