: भादरवो : २४९४ आत्मधर्म : २९ :
साचा– खोटानी परीक्षा (गतांकनो जवाब)
१. ईश्वरे जीवने बनाव्यो छे. ×
२. शुभरागथी मोक्ष मळे छे. ×
३. अरूपी वस्तुने जाणी शकाय नहि. ×
४. आत्माने ज्ञानथी ओळखी शकाय छे. (साचुं)
प. जगतमां कोई ईश्वर नथी. ×
६. ईश्वर जगतना कर्ता छे. ×
७. शुभराग करीए तो धर्म थाय. ×
८. अरिहंत भगवंतो खाता नथी. (साचुं)
९. आत्मा खोराकथी जीवे छे. ×
१० .देह ने आत्मा जुदा छे. (साचुं)
जीव पोते ईश्वर बने छे. (साचुं)
शुभरागथी संसार मळे छे. (साचुं)
अरूपी वस्तुने पण ज्ञान जाणे छे. (साचुं)
आत्माने कोई ओळखी शके नहि. ×
जगतमां सर्वज्ञ ईश्वर अनंता छे. (साचुं)
ईश्वर जगतना ज्ञाता छे . (साचुं)
वीतरागता वडे धर्म थाय. (साचुं)
अरिहंत भगवंतो खाय छे. ×
आत्मा खोराक वगर जीवे छे. (साचुं)
देहनी क्रिया आत्मा करतो नथी. (साचुं)
लगभग बधा ज बाळकोना जवाबो साचा हता. ते बदल धन्यवाद.
[धर्मवत्सल बालमित्रोने संपादकनो पत्र]
बंधुओ, साचुं सगपण साधर्मीनुं गुणीने आपणा सौमां जे हार्दिक प्रेम छे ते देखीने
हृदय ठरे छे....केटलाक बालसभ्यो तरफथी पर्युषणप्रसंगे क्षमावणी पत्र आवेल छे;
तेमने जुदा पत्रो लखी शकाया नथी, परंतु बधा ज बालबंधुओ प्रत्ये अंतरना
स्नेहपूर्वक क्षमापना!
बीजुं अमदावाद, मोरबी, वींछीया, रांची, मुंबई, सोनगढ, अमेरिका, वढवाण
वगेरे केटलाक गामोना सभ्योए पत्रद्वारा के रूबरू उत्साहपूर्वक एवी भावना व्यक्त
करी छे पू. गुरुदेवनी मुंबईमां ८० मी जन्मजयंती प्रसंगे अमे नानां– नानां बाळको
(बाळविभागना बे हजार सभ्यो) पण गुरुदेव प्रत्ये भक्ति व्यकत करीए ने कंईक
यादगार आयोजन करीए. बंधुओ, तमारी आ भावना उत्तम छे, ने मने खातरी छे के
बधा ज गामोना बालसभ्यो तेमां साथ पूरावशो...ने आ महान प्रसंगने भारतव्यापी
बनावीने शोभावशो. तो दरेक गामना तमे सौ सभ्यो उत्साहथी