: भादरवो : २४९४ आत्मधर्म : ३१ :
बीजा गामोनी माहिती हवे पछी प्रगट थशे; अने दरेक गामना सभ्योनुं लीस्ट
ते ते गामना प्रतिनिधि उपर मोकली आपशुं.
नवा सभ्योनां नाम आगामी अंकमां आपीशुं.
सभ्य थवा माटे तमारुं नाम–सरनामुं–गाम, उमर–अभ्यास ने जन्मदिवस एक
पोस्टकार्डमां लखीने, [आत्मधर्म बालविभाग, सोनगढ : सौराष्ट्र] ए सरनामे
मोकली आपो.
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गुरुदेव कहे छे :
‘भाई! तारे घणुं काम करवानुं छे’
भाई, मनुष्यपणाना थोडाकाळमां आत्मानुं तारे घणुं
काम करवानुं छे. अमुल्य रत्न करतांय वधारे किंमती क्षणो
चाली जाय छे.
शुद्ध जीवस्वरूपनो अनुभव मोक्षमार्ग छे,
शुद्धस्वरूपना अनुभव विना जे कोई क्रिया छे ते सर्व
मोक्षमार्गथी शून्य छे. अनुभवदशामां अशुद्धतानो अभाव
थईने आनंदनुं वेदन छे; अनुभवज्ञान साथे आनंदनी
अस्ति ने रागनी नास्ति छे, आवी दशा वगर मोक्षमार्ग
होतो नथी. धर्मात्माओ अनुभवदशारूप ज्ञान, ने
अशुद्धताना अभावरूप क्रिया–एवी ज्ञान–क्रियानी मैत्री
सहित शोभे छे.
आनंदनी प्राप्ति ने दुःखनो अभाव–ते एक ज
भूमिकामां समाय छे. धर्मीने एवी भूमिकाना अनुभववडे
चैतन्यमय सुप्रभात खीले छे.
भाई! आ मनुष्यपणुं पामीने तने आत्मा मळ्यो के
नहीं बहारना संयोग मळ्या तेमां तो कांई हित नथी,
अंदरनी अनुभवदशामां शुद्ध आत्मानी प्राप्ति कर.