Atmadharma magazine - Ank 299
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: ३२ : आत्मधर्म : भादरवो : २४९४
वि वि ध – स मा चा र
दसलक्षणीपर्वना दिवसोमां सवारे कलश–टीकाना छेल्ला भागना कळशो उपर
प्रवचन थया हता. तथा बपोरे समयसार–कर्ताकर्मअधिकारी वंचायो हतो. ते उपरांत
कार्तिकेयस्वामीनी द्वादशअनुप्रेक्षामांथी उत्तमक्षमादि दश धर्मोनुं वांचन थयुं हतुं.
श्री मुंबई मुमुक्षुमंडळनी वती मुंबईना ८० जेटला भाई–बेनोए सोनगढ
आवीने ८०मी जन्मजयंति मुंबई उजववा माटे, अने ते प्रसंगे गुरुदेवने मुंबई
पधारवा माटे विनति करी हती. जेनो गुरुदेवे स्वीकार कर्यो छे. आ उपरांत अमदावाद
तथा रणासणमां पण पंचकल्याणकप्रतिष्ठा महोत्सव प्रसंगे गुरुदेवने पधारवानी
विनति त्यांनां मुमुक्षुमंडळ द्वारा थई हती,–तेनो पण स्वीकार थयो छे. गुजरातना
बीजा अनेक गामोना. तेमज राजकोट वगेरेना संघ तरफथी पण विनति थयेल छे.
विगतवार कार्यक्रम हवे पछी नक्क्ी थये जणाववामां आवशे.
छहढाळा–प्रवचनो, तथा जैनधर्मनी पहेली चोपडी वगेरे पुस्तको छपाववानी
व्यवस्था चाले छे, तेना विगतवार समाचार हवे पछी.
छापतां छापतां समाचार मळे छे के प्रवचनमां समयसारनी चालु गाथा (७४)
पूरी थतां प्रवचनसार शास्त्र शरू थशे; एटले आप आ आत्मधर्म वांचता हशो त्यारे
तो गुरुदेवना प्रवचनमां पंचपरमेष्ठीने नमस्काररूप मुक्तिमंडपमां मंगलवाजां वागता
हशे. बीजी तरफ कलशटीका–प्रवचनमां थोडा कळश बाकी छे ते थोडा दिवसोमां पूर्ण थतां
श्री समयसार–परमागम उपर सोळमी वखत प्रवचनो शरू थशे.
वैराग्य–समाचार
* जामनगरना भाईश्री जयंतिलाल हीराचंद भणशाळीना मातुश्री कस्तुरबा
श्रावण सुद त्रीज ने रविवारना रोज घाटकोपर मुकामे स्वर्गवास पाम्या छे.
गुरुदेव प्रत्ये तेमने भक्तिभाव हतो.
* भावनगरना भाईश्री वल्लभदास गुलाबचंद ता.२२–८–६८ ना रोज
स्वर्गवास पाम्या छे. तेओ केटलाक वखतथी नियमितपणे सोनगढ आवीने पू.
गुरुदेवना प्रवचननो लाभ लेता हता; अंतिम मांदगीमां पण गुरुदेवनुं स्मरण
करता ने गुरुदेवना दर्शन करवानी पण खास भावना हती.
स्वर्गस्थ आत्माओ देव–गुरु–धर्मना शरणे आत्मशांति पामो.