Atmadharma magazine - Ank 300
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: ३० : आत्मधर्म : आसो : २४९८
गतांकमां पूछेल दस वाक््यो नीचेना शास्त्रमां छे–
१. अरिहंतने ओळखतां आत्मा ओळखय छे. प्रवचनसार : ८०
२. वीतराग–विज्ञान त्रण जगतमां साररूप छे. छह ढाळा :
३. सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र ते मोक्षमार्ग छे. मोक्षशास्त्र : १
४. ‘हुं एक शुद्ध सदा अरूपी, ज्ञानदर्शनमय खरे.’ समयसार : ३८
प. दंसणमूलो धम्मोधर्मनुं मूळ सम्यग्दर्शन छे. अष्टप्राभृत : २
६. णमो जिणाणं........ जिद भवाणं (भवने जीतनारा जिनोने नमस्कार) पंचास्तिकाय : १
७. जाणे–जुए जे सर्व, ते हुं –एम ज्ञानी चिंतवे. नियमसार : ९७
८. ‘परमात्मप्रकाशाय नित्यं सिद्धात्मने नमः’ परमात्मप्रकाश :
९. णमो अरिहंताणं........णमो सिद्धाणं........णमो आइरियाणं..... षट्खंडागमः १
१०. ‘अहो, अहो! श्री सद्गुरु करुणासिंधु अपार आत्मसिद्धि
• • •
हवे, तमने १२ महिनानां नाम तो आवडता ज हशे. अहीं १२ खानां छे, दरेक
खानामां एक नाम लखेल छे; तेना उपर विचार करीने तेना संबंधमां कोई मुख्य
प्रसंग जे महिनामां बन्यो होय ते महिनानुं नाम तेनी सामे लखवानुं छे. (एक
महिनानुं नाम एक ज वार लखवुं.) अत्यारे आसो मास चाले छे. आसो मासमां
महावीरभगवानना मोक्षनो उत्सव (दीपावली) छे; तेथी ते महावीरभगवान सामे
आसो मास तो अमे लखी आप्यो. बाकीनां ११ तमे शोधी काढो.
१. दसलक्षण–पर्युषण ७. कुंदकुंदाचार्य
२. महावीर भगवान आसो ८. अंकलेश्वर
३. सीमंधर भगवान (सोनगढ) ९. धर्मनाथ
४. ऋषभ–निर्वाण १०. गौतमगणधर
प. श्रीमद् राजचंद्र ११. सोनगढ–मानस्तंभ
६. श्रेयांसकुमार १२. विष्णुकुमारनुं वात्सल्य