पैडां उपर जिनवाणीनो रथ आजेय मोक्षमार्ग तरफ दोडी रह्यो छे.
समयसारनुं मंगलाचरण एटले सिद्धपदनी धून...ने प्रवचनसारनुं
मंगलाचरण एटले पंचमरमेष्ठीनी धून. एक साथे (सवार–
बपोर) बंनेना प्रवचनो चालतां सोनगढमां तो जाणे के सिद्ध
भगवंतोनो अने पंचपरमेष्ठी भगवंतोनो मोटो मंगळ मेळो
भरायो होय! एवुं वातावरण वर्ती रह्युं छे. अने गुरुदेव एवा
भावमां श्रोताओने झुलावे छे के जेने मोक्ष लेवो होय ते चाल्या
आवो आ मेळामां! मोक्षनो आ मंगलमंडप सम्यग्दर्शन ने
सम्यग्ज्ञानरूपी दरवाजाथी ने वीतरागचारित्ररूपी तोरणथी शोभी
रह्यो छे. पंचपरमेष्ठीने अने सिद्ध भगवंतोने साथे लईने आ
मेळामां आव्यो ते मुमुक्षु जरूर मोक्ष पामशे.