Atmadharma magazine - Ank 300
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: आसो : २४९८ आत्मधर्म : ३७ :
अमे जिनवरनां सन्तान...... जिनवरपंथे विचरशुं
धर्मवत्सल बंधुओ.................................................
पू. गुरुदेवना प्रतापे आपणा बालविभागे खूब ज उत्साहथी प्रगति करी छे...
हजी तेनी वधुने वधु प्रगति थाय, ने भारतना बधा ज बालसभ्यो तेना कार्यमां
उत्साहथी भाग लई शके तथा व्यवस्थित कार्यक्रमो योजी शकाय–ते माटे जुदा जुदा
गामनी शाखाओ करीने तेना प्रतिनिधि तरीके कोई एक बे सभ्यो रहे ने संपादकनी
सूचना मुजब पोतपोताना गामनुं बालविभागनुं कार्य संभाळे–एवी व्यवस्था
विचारवामां आवी छे. सौए आ व्यवस्थामां उत्साहथी सहकार आपवानी भावना
बतावी छे ते बदल धन्यवाद!
(१) सौथी प्रथम, जे जे गामना सभ्योने बालसभ्योनुं लीस्ट मोकल्युं छे तेओ
सारी नोटबुकमां ते उतारी लेजो; ने छेल्ला खानामां ता. १–१–६९ना रोज जे उंमर
तथा अभ्यास होय ते लखीने पूरुं करशो... बधा भाई–बहेनो आनंदथी एक–बीजाना
सगा भाई–बहेननी माफक रहेजो ने परस्पर उत्साह वधे तेम करजो. केमके ‘साचुं
सगपण साधर्मीनुं’
(२) आपणा बालविभागनी चार आदर्श वातो दरेक सभ्य लक्षमां राखीने
तेना पालननो तथा प्रचारनो प्रयत्न करजो–
१ हंमेशां भगवाननां दर्शन करवा.
२ जीवनमां तत्त्वज्ञाननो अभ्यास करवो.
३ रात्रे खावुं नहि.
४ सीनेमा जोवुं नहि.
(३) पू. गुरुदेवनो आपणा उपर महान उपकार छे, आपणने ‘वानरसेना’
मांथी ‘वीरनां संतान’ गुरुदेवे ज बनाव्या छे. आगामी वैशाख सुद बीजे गुरुदेवनो
८० मो जन्मोत्सव ‘रत्नचिंतामणि उत्सव’ तरीके उजववानो छे; ते प्रसंगे
बालविभागना बधा सभ्यो तरफथी पण गुरुदेव प्रत्ये ‘उपकार–अंजलि’ व्यक्त
करवानी घणा सभ्योने