Atmadharma magazine - Ank 301
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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देवो नंदीश्वर जाय छे... नंदीश्वरना शाश्वत जिनमंदिरो
आपणे जंबुद्वीपमां रहीए छीए, त्यारपछी धातकीखंडद्वीप अने
अर्धो पुष्करद्वीप–एम अढी द्वीप सुधी मनुष्यक्षेत्र छे; त्यारपछी आगळ
जतां आठमो नंदीश्वरद्वीप छे; त्यांना शाश्वत जिनमंदिरोमां देवो पूजा करवा
जाय छे. अत्यारे का. सु. ८ थी १प ए नंदीश्वरद्वीपपूजननुं अष्टाह्निकापर्व
छे. पूर्वे वासुपूज्य भगवानना वखतमां वानरद्वीपमां श्रीकंठराजा हता;
अष्टाह्निका वखते ईन्द्र (के जे पूर्वभवमां तेना भाई हता ते) विमानमां
बेसीने नंदीश्वर जता हता. तेमने देखीने श्रीकंठराजाने पण नंदीश्वर
जवानी भावना थई, ने विमानमां बेसीने चाल्या. पण मानुषोत्तरपर्वत
नजीक आवतां विमान अटकी थया. त्यारे राजा वैराग्य पामे छे के अरे,
देहधारण करवामां केवी पराधीनता छे! आ भवभ्रमणनी जेलथी हवे बस
थाओ. आ मानुषोत्तरपर्वत नंदीश्वर जतां भले रोके पण सिद्धलोकमां जतां
ते नहि अटकावी शके...माटे एवो उपाय करुं के आत्मा सिद्धपद पामे!–
आम संसारथी विरक्त थईने श्रीकंठराजा मुनि थया.