Atmadharma magazine - Ank 302
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: ३४ : A आत्मधर्म : मागशर : २४९प
जैन लखे छे–“मारा हाथमां आत्मधर्म
आवतां घणो आनंद थाय छे. प्रश्नोने
कारणे आत्मधर्म फरीथी वांचवामां बहु
मजा आवे छे.”
* कलकत्ताथी ज्योत्स्नाबेन (नं.
१प२९) लखे छे–“जन्मदिवसे गुरुदेवनो
फोटो मळ्‌यो अने साथेनुं लखाण वांचीने
अनहद आनंद थयो. ते प्रमाणे हुं जरूर
उत्साहथी आगळ वधीने मारा जीवनने
उज्जवळ बनावीश. में समयसारनी १४४
गाथा (अर्थसहित) तथा प्रश्नोत्तरमाळाना
३८ प्रश्नोत्तर मोढे कर्या छे. हजी पूरुं करवा
प्रयत्न करुं छुं.” (तमारा धार्मिकउत्साह
माटे धन्यवाद!
* ईन्दोरथी मीराबेन (नं. ७४१)
लखे छे: “उपकार–अंजलिनुं लखाण मोकल्युं
छे. आत्मधर्म तथा तेमां अमारो प्रिय
बालविभाग उत्साहथी वांचीए छीए. आ
वखते ‘पुनरावर्तनरूप परीक्षा’ ना नवा
तरीकाथी बहु मजा आवी, ने तेना जवाब
शोधवा पहेलानुं आत्मधर्म फरी वाच्युं. आ
प्रमाणे दरेक आत्मधर्ममां आवे तो केवी
मजा!” (बहु मजा...बेन, तमारी भावना
प्रमाणे दरेक अंकमां प्रश्नो आवशे.)
* रतिलाल एन. जैन रखियाल स्टेशनथी
लखे छे के “बालविभागनी प्रेरणा
अनुसार अमारा गाममां जैन पाठशाळा
चालु थई छे ने पचास जेटला विद्यार्थीओ
भाग ल्ये छे; बधा घणा
उत्साहथी भणीए छीए. केटलाक
विद्यार्थीओ तो एक माईल चालीने
दररोज भणवा आवे छे. पाठशाळा
भणाववानुं कार्य नेमिचंदभाईए संभाळी
लीधुं छे.” (धन्यवाद! सभ्योनी पूरी
विगत अने सरनामा मोकलावशोजी.)
* कलकत्ताना आपणा प्रतिनिधिनुं
पूरुं सरनामुं नीचे मुजब छे. (सौए तेमनो
संपर्क साधवो–(भरतकुमार एन. जैन १२B.
लोअर चित्तपुर रोड टीरेटा बजार, थर्ड फलोर
(रूम नं. ३१ साउथ.) कलकत्ता : १
* दीवाळीना धार्मिक तहेवार प्रसंगे
पंचपरमेष्ठीना चित्र सहित अभिनंदननी
उत्तम भेट मळवाथी तेमज जन्मदिवसनी
भेट मळवाथी गामेगामना सभ्यो बहुज
खुशी थया छे...ने सेंकडो बाळकोना
उत्साहभर्या पत्रो आव्या छे. उत्साह बदल
बधा सभ्योने फरी धन्यवाद!
* रूपाबेन (B. Sc) अने जयश्रीबेन जैन,
रांचीना आपणा आ उत्साही सभ्यो लखे छे
के “अमे बालविभागनी चारेय आदर्श
वातोनुं पालन करीए छीए. उपकार–
अंजलि पण होंशथी तैयार करीए छीए.
बधा सभ्यो (उपकार–अंजलिमां) लखे तो
केटलो सरस ग्रंथ रचाई जाय!” (आवा
सेंकडो सुशिक्षित भाई–बहेनो जे उत्साहथी
पोताना जीवनने धर्मरंगे रंगी रह्या छे,
तेओ मात्र आपणा बालविभागनुं ज नहि
परंतु