: ४२ : आत्मधर्म : मागशर : २४९प
चालो शीखीए.....जैन बाळपोथी * वीरतणां सन्तान
अमे तो वीरतणां सन्तान अमारे
भणवा जैनसिद्धांत; भणवुं–गणवुं अमने
वहालुं, गुरुजी पर छे वहाल...अमे तो०
भणतां भणतां मोटा थईशुं, करशुं
आत्मानुं भान; उपकार ए गुरुजी तणो
छे, वंदीए वारंवार अमे तो०
बंधुओ, अहीं आपेला त्रीस
प्रश्नोनी समजण तमने ‘जैन बाळपोथी’
मांथी मळी जशे.
(१) हुं कोण छुं? (१६) जीवद्रव्य अने अजीवद्रव्य, तेमनामां शुं फेर?
(२) मारामां शुं छे? (१७) शरीर कोण छे?
(३) आपणे कोनां सन्तान? (१८) तमे कोण छो?
(४) तमने शुं भणवुं गमे? (१९) जीव शरीरनां काम करे?
(प) मोटा थईने शुं करशो? (२०) जीव शरीरने जाणे?
(६) तमे जीव के शरीर? (२१) शरीरमां ज्ञान होय?
(७) ज्ञान जीवमां होय के शरीरमां? (२२) सुखी थवा माटे तमे शुं करशो?
(८) जीव अने शरीरमां शुं फेर? (२३) धर्म करवाथी शुं थाय?
(९) जीव अने शरीर एक के जुदां? (२४) आत्माने ओळख्या वगर सुख थाय के नहीं?
(१०) तमे शेनाथी जाणो छो? (२प) पैसाथी सुख मळे के नहीं?
(११) आ आंख वगर जाणी शकाय? (२६) धर्म न करे तो जीवने शुं थाय?
(१२) शरीर कोने जाणे छे? (२७) धर्म जीवमां थाय के शरीरमां?
(१३) तमे क्युं द्रव्य छो?–जीव के
अजीव? (२८) धर्म ते द्रव्य छे के पर्याय?
(१४) तमारामां क्यो गुण छे? (२९) धर्म ते कोनी पर्याय छे?
(१प) जाणवुं ते कोनी पर्याय छे? (३०) तमे केवी रीते धर्म करशो?
(आ बधा प्रश्नोना जवाब पाठ १ थी ७ मां मळशे.)