Atmadharma magazine - Ank 305
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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धन्य ए फागण सुद बीज...ए दिवसे हृदयना आराम भगवान सीमंधरनाथ
भेट्या ने भक्तोनी हृदयनी ऊंडी ऊंडी अभिलाषाओ पूरी थई...
२८ वर्ष पहेलानो ए मंगळ प्रसंग अद्भुत अने अपूर्व हतो. जीवनमां पहेली
ज वार जिनेन्द्रदेवना पंचकल्याणक नीहाळीने मुमुक्षु हृदयोमां अनेरी भक्ति उल्लसती
हती. गुरुदेव वगेरेना रोमेरोमे भक्तिरसनी अच्छिन्नधारा वहेती हती.
साधकजीवनना साथीदार एवा हे विदेहीनाथ! अमे भरतक्षेत्रना भक्तो अति
भावभीना हृदये अहर्निश आपने भजीए छीए...अमारा परम सौभाग्ये आपने
सुवर्णसन्देश अमने आ भरतक्षेत्रमां पण सांभळवा मळ्‌यो छे. प्रभो! आपना विदेह
पासे अमारुं भरतक्षेत्र तो साव गामडा जेवुं, अने तेमांय अमारुं सोनगढ तो साव
नानुं, छतां अमारा उपर कृपा करीने आप अहीं पधार्या...अने अमने भरतक्षेत्रमां
पण आपनी चरणसेवा आपी, ते आपनी परम प्रसन्नता छे. प्रभो! आपना प्रतापे
अमारुं आ नानकडुं सोनगढ पण अमने तो आपना विदेह जेवुं ज लागे छे.–केमके आ
सैकामां ज जेमणे आपना पवित्रचरणनी साक्षात् सेवा करी छे एवा सन्तो अमने
अहीं मळ्‌या छे.