: ४० : आत्मधर्म : फागण : २४९प
थयुं सांजे जिनेन्द्रअभिषेकपूर्वक ते पूजनविधान पूर्ण थयुं. रात्रे बालविभागना
सभ्योए संवाद द्वारा तात्त्विक चर्चा रजु करी हती.
माह वद १४ ना प्रभातमां मंगलसूचक नांदिविधाननी विधि थई. आ विधिमां
सौ. मुक्ताबेन (के जेओ तीर्थंकरना माताजी थया हता) तेमना हस्ते प्रतिष्ठावेदी उपर
मंगलकुंभनुं स्थापन थयुं. त्यारबाद गुरुदेवना आशीर्वादपूर्वक माता–पिता तथा ईन्द्रो
अने कुबेरनी प्रतिष्ठा थई. गुरुदेवे प्रसन्नतापूर्वक मंगल संभळावीने आशीर्वाद
आप्या. प्रतिष्ठामहोत्सवमां कुल १६ ईन्द्रो तथा ईन्द्राणीओनी स्थापना थई हती–जेमां
प्रथमना बे ईन्द्रो (सौधर्म तथा ईशान ईन्द्र) भाईश्री पुनमचंद मलुकचंद तथा
जयंतिलाल नथुभाई हता; समुद्रविजयजी पिता अने शिवादेवी माता तरीके नुं
सौभाग्य भाईश्री नवलचंद जगजीवन (सोनगढ) तथा सौ० मुक्ताबेनने मळ्युं हतुं.
गुरुदेवना प्रवचन बाद भाईश्री नवलचंदभाईए तथा मुक्ताबेने सजोडे आजीवन
ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा लीधी हती. त्यारबाद ईन्द्रप्रतिष्ठानुं भव्य सरघस नीकळ्युं अने ईन्द्रोए
जिनेन्द्र भगवाननी पूजा करी. बपोरे मृत्तिकानयन तथा अंकुरारोपण विधि थई. रात्रे
बालविभागना सभ्य बहेनोए ज्ञान–वैराग्यभावना सूचक नाटक रजु कर्युं हतुं.
माह वद अमासनी सवारे प्रवचन पछी ईन्द्रोए नव देवतानुं पूजन
(यागमंडलविधान) कर्युं हतुं,–तेमां अरिहंत (त्रण चोवीसीना तीर्थंकरो तेमज विदेहना
वीस तीर्थंकरो) सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, जिनालय, जिनबिंब, जिनवाणी ने
जिनधर्म ए नव देवोनुं पूजन कर्युं हतुं. बपोर पछी जिनमंदिरनी शुद्धि माटेनुं जल
भरवानी जलयात्रा नीकळी हती, ने रात्रे गर्भकल्याणकनी पूर्वक्रियानां द्रश्यो थया हता.
पंचकल्याणक नेमिनाथ भगवानना थया हता. प्रथम मंगलाचरण, बाद
जयंतविमानमां नेमिनाथप्रभुनो जीव बिराजे छे ते द्रश्य थयुं हतुं; त्यां छ मास आयु
बाकी रहेतां मातापिताने आंगणे देवो द्वारा रत्नवृष्टि, कुमारीदेवीओ द्वारा माताजीनी
सेवा, ईन्द्रो द्वारा मातापितानुं बहुमान, माताजीने १६ मंगल स्वप्नो द्वारा तीर्थंकरना
अवतरणनी आगाही वगेरे द्रश्यो थया हता. आ मंगल प्रसंग नीहाळवा
पारसनगरमां दसेक हजार माणसो एकठा थता हता.
फागण सुद एकमनी सवारे माताजी साथे कुमारीदेवीओनी तत्त्वचर्चा, १६
मंगलस्वप्नोनुं सर्वोत्तम फळ, समुद्रविजय महाराजानी सभामां आनंद, ने ईन्द्रलोकमां
पण आनंद वगेरे भावो देखाडवामां आव्या हता. बपोरे जिनमंदिरनी वेदीशुद्धि, ध्वज–
कळश शुद्धि, मंदिर शुद्धि थई हती.
(बाकी आवता अंके)