Atmadharma magazine - Ank 305
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 42 of 45

background image
: फागण : २४९प आत्मधर्म : ३९ :
गुजरातना पाटनगरमां
जैनधर्मना जयजयकार
अमदावाद शहेर.....गुजरातनुं पाटनगर... ज्यां १६ लाखनी वस्तीमां सवालाख
जेटला जैनो होवानो अंदाज छे, कदाच भारतभरमां जैनोनी सौथी वधु वस्ती आ
शहेरमां हशे. एवुं आ शहेर आ मासमां विशेषपणे शोभी ऊठ्युं. खाडीया विस्तारमां दि.
जैनमुमुक्षु मंडळ द्वारा बंधायेला अति विशाळ, भव्य, प६ फूट जेटला उन्नत अने
शिखरबंधी जिनमंदिर द्वारा नगरी प्रफूल्लित बनी. ते जिनालयमां मूळनायक श्री
पारसनाथ भगवान छे; ते उपरांत भव्य कमल उपर बिराजमान श्री आदिनाथ
भगवानना प्रतिमाजी बे टन (११२ मण जेटला) वजनना, साडा पांच फूट ऊंचा अने
सवातेर हजार रूा. नी लागतथी तैयार थयेला छे. प्रतिमाजीनी चैतन्यरसभीनी मुद्रा
अत्यंत वीतरागता प्रेरक छे,–गुजरातभरमां जेम अमदावाद सौथी मोटुं छे तेम आ
प्रतिमाजी पण सौथी महान छे. आवा प्रतिमाजीनी प्रतिष्ठानो पंचकल्याणक महोत्सव माह
वद १३ थी फागण सुद पांचम सुधी ऊजवायो...अमदावाद नगरी जैनधर्मना प्रभावथी
गाजी ऊठी...देशभरमांथी अनेक मुमुक्षुओए उत्सव नीहाळवा आवी पहोंच्या. अत्यंत
टूंका समयमां पण अमदावादना मुमुक्षुओए उत्सवनी भव्य तैयारीओ करी. रातदिन
सौने लगनी हती–प्रभुजीने आंगणे पधराववानी.
एक तरफ गुरुदेव सवार–बपोर अंतरना चैतन्यपरमात्मानुं स्वरूप समजावता
हता, तो बीजी तरफ एवा परमात्मानी पधरामणीनो भव्य उत्सव चालतो हतो.
उत्सवनी मंगल विधिनो प्रारंभ थयो–माह वद तेरसे.
माह वद तेरसनी सवारमां मंगल मंत्रजापनो प्रारंभ थयो अने जिनमंदिरेथी भव्य
सरघसपूर्वक जिनेन्द्रभगवानने प्रतिष्ठा–मंडपमां–‘पारसनगर’ मां पधरावीने वेदीमां
बिराजमान कर्या. सारंगपुर दरवाजा पासेना मेदानमां पारसनगरनी भव्यरचना थई हती.
एना आंगणे बे हाथी झुलता हता. सुसज्जित विशाळ मंडपनी शोभा अनेरी हती. रात्रे तो
झगझगता प्रकाशमां ते ओर दीपी ऊठतो. अने तेमां ज्यारे जिनेन्द्र भगवान पधार्या त्यारे
तो समवसरणनुं स्मरण थई आवे एवी शोभा हती. अने ए शोभानी वच्चे बेसीने हजारो
श्रोताजनो गुरुदेवना श्रीमुखथी आत्मानी प्रभुता सांभळवा मशगुल बनता.
प्रवचन पछी तरत पारसनगरना प्रांगणमां शेठश्री पुनमचंद मलुकचंदना हस्ते
जैनझंडारोपण थयुं...अने प्रतिष्ठामंडपमां श्री पंचपरमेष्ठी भगवंतोनुं पूजन शरू