Atmadharma magazine - Ank 306
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: १६ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९प
वहाला वांचको अने साधर्मी बंधुओ! आ विभाग आपणे साधर्मीओने एकबीजाना
संपर्कमां आवीने वात्सल्यनी वृद्धि करावे छे, अनेकविध नवा विचारो ने चर्चाओ आ विभाग
द्वारा जाणवा मळे छे; सुगम अने सौने प्रिय एवो आ विभाग हमणां गुरुदेव साथे प्रवास
वगेरे कारणे व्यवस्थित आपी शकातो नथी; केटलाय साधर्मीओना पत्रो भेगा थई गयेला, ए
२००–३०० पत्रोमांथी थोडाकना ज जवाबो हवेना अंकमां आपी शकीशुं. आम छतां आपना
दरेकना पत्र उपर पूरतुं लक्ष आपवामां आवे छे. एक खास सूचना लक्षमां राखवा विनति के,
आ विभागने लगता पत्रोनी साथे, बीजा कार्यो (पुस्तको मंगाववानां, आत्मधर्मना अंक
मंगाववाना के लवाजम वगेरे संबंधी बीजा कार्यो) संपादक उपर न लखशो, केमके ए बधा
कार्यो माटे व्यवस्था विभाग जुदो छे, तेनुं सरनामुं (मेनेजर, आत्मधर्मकार्यालय सोनगढ) ए
प्रमाणे छे. आत्मधर्मना लेखन–संपादन संबंधी के बालविभाग संबंधी पत्रव्यवहार– (संपादक
आत्मधर्म, ब्र, हरिलाल जैन, सोनगढ) ए सरनामे करवो. गुरुदेव साथे प्रवास दरमियान
गामेगाम घणाय बालसभ्यो साधर्मी बंधुओ मळ्‌या ने सौए उल्लासथी धर्मप्रेम बताव्यो; –ते
सौने धन्यवाद! विशेष आवता अंके. (जयजिनेन्द्र) –संपादक
श्री जैन विद्यार्थीगृह: सोनगढ
आ विद्यार्थीगृह १७ वर्षथी चाले छे ने जैन विद्यार्थीओने भेदभाव वगर दाखल
करवामां आवे छे. सोनगढ गुरुकुल–हाईस्कूलमां धोरण प थी ११ (एस. एस. सी)
सुधीना अभ्यासनी सगवड छे. १० थी १८ वर्षना बाळकोने बोर्डिंगमां दाखल करवामां
आवे छे.
मासिक पूरी फी–रूा. ४० (चालीस) छे अने ओछी फी रूा. २प (पचीस) छे.
विद्यार्थीओने स्कूलना अभ्यास उपरांत धार्मिक तत्त्वज्ञान पण शीखवाय छे, तथा
गुरुदेवना प्रवचनोनो पण लाभ मळे छे.
बोर्डिंगनुं सत्र (टर्म) ता. १प जुन १९६९ थी शरू थशे. दाखल थवा ईच्छनारे
पंदर पैसानी टीकीट मोकलीने फोर्म मंगावी लेवुं, ने वार्षिक परिक्षाना परिणामनी साथे ता.
१प मी सुधीमां भरीने मोकलवुं.
मंत्री: जैन विद्यार्थीगृह, सोनगढ (सौराष्ट्र)