Atmadharma magazine - Ank 306
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २४९प आत्मधर्म : ३१ :
जिनेन्द्र भगवानना पंचकल्याणक जगतनुं कल्याण करो.
जय पारसनाथ.....जय आदिनाथ.....जय नेमिनाथ...
(नोंध: अत्यंत टूंका समयमां आ समाचारो लखी मोकलवाना होवाथी
टूंकामां ज लखी शकाया छे. तेमज प्रसंगोचित चित्रो आपवानी भावना होवा छतां
ते प्राप्त थई शक््या न होवाथी आपी शकाया नथी, शक््य हशे तो हवे पछी आपीशुं.
अमदावादना महान उत्सव पछी दहेगाम रखियाल तलोद मुनाई अने भीलोडा
थईने गुरुदेव नानकडा रणासण गामे पधार्या ने त्यां पण अमदावाद जेवो ज मोटो
पंचकल्याणक–प्रतिष्ठा महोत्सव थयो. जेनुं आनंदकारी विवेचन हवे पछीना पानामां
आप वांचशो.)
‘“ अं नमः