: ३० : आत्मधर्म : चैत्र : २४९प
के क्यारे मारा प्रभुजी पधारे ने क्यारे मने पावन करे! एवामां तो भगवान आवी
पहोंच्या ने कमळासन उपर बिराजमान थया....कमळ आनंदथी खीली ऊठ्युं.....मात्र
कमळ ज नहि–हजारो भक्तोनां हृदय कमळ पण हर्षथी खीली ऊठ्या......जिनमंदिर
शोभी ऊठ्युं, मात्र जिनमंदिर नहि आखी नगरी शोभी ऊठी. आवा महान
जिनालयथी गुजरात गौरववंतु बन्युं.
बराबर ११–४९ मिनिटे जिनमंदिरमां महान भक्तिपूर्वक जिनेन्द्रभगवंतोनी
स्थापना थई.... कहानगुरु परम भक्तिपूर्वक भगवंतोनी स्थापना करता
हता....वचलामाळे वेदीमां मूळनायक पारसनाथ भगवाननी स्थापना भाई श्री
पुनमचंद मलुकचंद छोटालाले करी हती, आजुबाजुमां महावीरभगवान अने
सीमंधरभगवान बिराजमान हता. कमळ उपर आदिनाथ भगवाननी स्थापना
भाईश्री हरिलाल शिवलाल मनजीभाई (लखतरवाळा) ना परिवारे करी हती.
आम आनंदपूर्वक जिनेन्द्र भगवंतोनी स्थापनाथी मंदिर शोभी ऊठ्युं. अमदावादना
भक्तजनोनी लांबा वखतनी भावना पूरी थई..... अमदावादना दरेकेदरेक मुमुक्षु
भाई–बहेनो आज अंतरमां खुशी अनुभवता हता. सौए खूबज उल्लासथी जे रीते
आ उत्सव शोभाव्यो छे ते बदल समस्त मुमुक्षुमंडळ, तेमज प्रमुखश्री कल्याणजी
लालभाई पण धन्यवादने पात्र छे.
अमदावादनुं आ जिनालय खरेखर भव्य–छे जेने जोता फिरोझाबादनुं जिनालय
याद आवी जाय छे. (जिनमंदिरनुं काम जोके हजी चालु छे, पण जे भाग तैयार थयो छे
जोतां पाटनगरना आ जिनालयनी अद्भुत भव्यता देखाई आवे छे. आ जिनालय थतां
अमदावादमां कुल ८ दि. जिनालय थया छे; केटलाक मंदिर विशेष प्राचीन छे. परंतु आ
मंदिरनी भव्यताने लीधे अमदावादनुं गौरव भारतमां विशेष प्रसिद्ध थशे.
सवालाख जेटला जैनोथी भरेला गुजरातना पाटनगरनुं ने जैनसमाजनुं
गौरव वधारनारी बीजी एक वातनो खास उल्लेख करवो जरूरी छे:– दिगंबर जैन
समाजनो आ भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव होवा छतां, अमदावादना श्वेतांबर
जैनसमाजे अत्यंत मध्यस्थता राखीने अने शक््य एटलो सहकार आपीने आखा
जैनसमाजनुं गौरव वधार्युं छे; जराय विखवाद फेलाय एवुं परस्पर क््यांय बन्युं
नथी. अमदावाद माटे आ शोभानी वात छे; ने साराय भारतभरमां आ प्रकारे
परस्पर मित्रतानुं सहकारनुं वातावरण फेलाय ते हवे भगवानना अढी हजारमां
निर्वाणोत्सव प्रसंगे अत्यंत जरूरी छे.
प्रतिष्ठा उत्सव पछी बपोरे शांतिविधान अने सांजे भगवाननी भव्य
रथयात्रा नीकळी हती.