: चैत्र : २४९प आत्मधर्म : ३३ :
फागण सुद ८–९ (ता. २४–२प, २, ६९) बे दिवस तलोद पधार्या. फागण सुद
दसमे तलोदथी बामणवाडा थईने मुनाई गामे पधार्या.....मुनाईजतां वच्चे चारेक
माईलनो रस्तो घणो विकट हतो, पण महापुरुषने आंगणे पधराववानी भावनाथी
गामनी जनताए उत्साहपूर्वक आखो मार्ग सरखो करी नांख्यो..... ने ए रस्ते पसार
थईने ज्यारे गुरुदेवे मुनाई गाममां प्रवेश कर्यो त्यारे आखा गामनी जनताए खूब
उमळकाथी स्वागत कर्युं. अहींनुं जिनमंदिर सुंदर अने प्राचीन छे. पार्श्वनाथ वगेरेना
मनोज्ञ प्रतिमा बिराजे छे. हालमां मंदिरनी बाजुमां नवुं स्वाध्यायमंदिर बंधायुं छे तेनुं
उद्घाटन गुरुदेवनी छायामां बाबुभाईना हस्ते थयुं. प्रवचनमां गामनी समस्त जनता
उपरांत आसपासना गामोथी पण मोटी संख्यामां माणसो आव्या हता....ने मोटा मेळा
जेवुं वातावरण सर्जाई गयुं हतुं. बालिकाओ वडे स्वागत गीत, तथा नगरजनो तरफथी
अभिनंदन पत्र अर्पण थयेल हतुं. भाईश्री मणिलालभाईए हार्दिक उल्लासनी
लागणीओथी नानकडा गामडामां महान सन्तोनुं स्वागत कर्युं हतुं. सांजे मुनाईथी
भीलोडा आव्या हता.
भीलोडा जुनुं प्राचीन नगर छे. अगाउना वखतमां आ नगरीनी धार्मिक
जाहोजलाली केवी महान हशे! तेनो ख्याल अहींना एक अत्यंत भव्य प्राचीन दि.
जिनालयने जोतां आवे छे. आ जिनमंदिरनो जीर्णोद्धारा ४०० वर्ष पहेलां थयेल छे; ने ८००–
९०० वर्ष प्राचीन होवानुं अनुमान छे. प्राचीन प्रतिमाओ मनोज्ञ छे. विशाळ जिनालयने
फरती बावन जेटली देरीओ छे–जेमां भगवंतो बिराजमान छे. मंदिरना प्रांगणमां सोएक फूट
ऊंचो कारीगरीमय एक धर्मस्तंभ छे–जेनी अंदरना भागमां उपर जवा माटेना पगथियां छे.
जिनमंदिरमां भरत–बाहुबलीनी प्राचीन मूर्तिओ, तेमज वीस विहरमान तीर्थंकरोनी प्राचीन
चरणपादूका बिराजमान छे. थोडा वखत पहेलां मंदिर नीचेना भंडकियामांथी चालीसेक
प्राचीन प्रतिमाओ नीकळ्या छे. अष्टाह्निकाना दिवसोमां नंदीश्वरने याद करावे एवुं आ भव्य
जिनालय जोतां सौने आनंद थयो. आवा धर्मस्थानोमां गुरुदेव साथे दर्शन–भक्ति करतां
भक्तोने घणी प्रसन्नता थाय छे. कहानगुरु साथेनो प्रवास ने कहानगुरु साथेनी यात्रा एटले
तो मोक्षमार्गना एक नायकनी साथेनो मुक्तिपुरीनो प्रवास...ते मुमुक्षुने महा आनंद उपजावे
छे. भीलोडाना भव्य जिनालयमां गुरुदेव साथे दर्शन करीने पू. बेनश्रीबेने भावभीनी भक्ति
करावी....ने सौेने तीर्थयात्रा जेवो आनंद आव्यो. रात्रे भीलोडा रोकाईने फागण सुद ११ नी
सवारमां रणासण तरफ पधार्यां.