Atmadharma magazine - Ank 306
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: ३४ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९प
रणासण (गुजरात) मां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा–महोत्सव
* गुजरातमां गाजेला जैनशासनना जयजयकार*

फागण सुद ११ नो मंगलदिन.....सवारमां जिनेन्द्र भगवानने प्रतिष्ठामंडपमां
बिराजमान करीने, शांतिजाप वगेरे विधिनो प्रारंभ थयो; अने गुरुदेव पधारतां भव्य
स्वागत थयुं. पू. गुरुदेवनुं भव्यस्वागत अतिशय शोभतुं हतुं. शरूमां चार हाथी उपर
धर्मध्वज फरकता हता. स्वागतनो रथ सुंदर हतो. ईन्दोरना पं. श्री बंसीधरजी
सिद्धांतशास्त्री, वाराणसीनां पं. श्री कैलासचंदजी सिद्धांतशास्त्री तेमज प्रतिष्ठाचार्य पं. श्री
नाथुलालजी शास्त्री वगेरे विद्वानो पण आ उत्सव प्रसंगे आवी पहोंच्या हता. गुरुदेवना
मंगलप्रवचन बाद आदिनाथनगर (प्रतिष्ठामंडप) मां जैनझंडारोपण थयुं हतुं.
आ मंगल धर्मोत्सवप्रसंगे रणासण गाम ज जाणे आखुं बदलाई गयुं होय–एम तेनी
नवरचना थई गई हती. रस्ताओ नवा, प्रकाश अने पाणीनी व्यवस्था नवी, मंडपनी रचना खूब
ज आकर्षक अने चारे बाजु धरसेनद्वार, कुंदकुंदद्वारा, टोडरमल्लजीद्वार, वगेरेथी शोभती डेरातंबुनी
वस्ती हती; भगवान आदिनाथना जन्मनी पूर्व तैयारीरूपे रचायेली आ आदिनाथनगरीना
आंगणे चार हाथी झूलता हता, मंगलवाजां वागता हता, रथ जेवी सुंदर गाडीओ शोभती हती.
अने ए बधुंय जेने लीधे शोभतुं हतुं एवा गुरुदेवनी वाणीवडे जिनमार्गना उपदेशनी अमृतधारा
सवार–बपोर वहेती हती.....हजारो जीवो ए अमृतनुं पान करता हता.
फागण सुद १२ नी सवारमां नांदीविधान अने ईन्द्रप्रतिष्ठा थई; जेमां १६ ईन्द्रो
हता. सौधर्मेन्द्र तरीके गांधी छोटालाल वीरचंद (रणासण) तथा ऐशानेन्द्र तरीके शाह
सोमचंद पुनमचंद (रणासण) हता; माता–पितानी स्थापनानुं सौभाग्य शेठश्री मीठालाल
जगजीवनदास (सोनासण) तथा चुनीबेनने प्राप्त थयुं हतुं. गुरुदेवनो उपकार प्रसिद्ध
करीने अने तेमना मंगलआशीष लईने ईन्द्रोनुं सरघस जिनपूजन माटे चाल्युं. नगरजनो
आश्चर्यथी ईन्द्रसवारी नीहाळी रह्या. ईन्द्रोए आवीने ६४ ऋद्धिधारी मुनिवरोनुं पूजनकर्युं.
रणासण (तलोदथी पंदर माईल दूर आवेलुं) तद्न नानुं जुनुं गाम छे, ज्यां रेल्वे
स्टेशन पण नथी, अने आखा गामनी वस्ती बे हजार जेटली छे; तेमां जैनोना दसेक घर
छे, –जेमां दिगंबर जैनोना घर पांच–छ छे. अहीं एक प्राचीन दिगंबर जैनमंदिर हतुं पण
ते जीर्ण थई गयुं होवाथी तेने बदले नवुं ज जिन मंदिर बंधाव्युं छे. मात्र पांच घरनी
वस्ती छतां, लगभग डोढ लाख रूा. ना खर्चे