Atmadharma magazine - Ank 306
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २४९प आत्मधर्म : ३७ :
ईन्द्रो दीक्षाकल्याणक माटे आवे छे. एकबाजु भरतना राज्याभिषेकनो उत्सव छे, तो बीजी
बाजु भगवाननी दीक्षानो वीतरागी उत्सव छे. ए अपूर्व वीतरागी उत्सव नीहाळवा.
एने अनुमोदवा ने एनी भावना करता घणा लोको भगवाननी साथे वन तरफ जई रह्या
छे. अयोध्याना ए भोळाभद्र जीवोने खबरेय नथी के भगवान क्यां जई रह्या छे? ने शा
माटे जई रह्या छे! तेमने तो एम छे के भगवान पोतानुं कोई उत्तम कार्य करीने थोडा
दिवसमां पाछा आवशे! भगवाने तो वनमां जईने वस्त्रो उतार्या ने दीक्षा लीधी....आ
चोवीसीमां दीक्षानो आ पहेलो ज प्रसंग हतो, ऋषभदेव ज पहेलवहेला मुनि
हता.....अहा! आजे भरतक्षेत्रमां साक्षात् मोक्षमार्ग खुल्लो थयो. जन्मतिथिना
मंगलदिवसे ज भगवान दीक्षित थया.....धन्य ए मुनिदशा! नदी किनारे दीक्षावननुं
वातावरण अनेरुं हतुं. बाजुमां ज सरयुं जेवी नदी वहेती हती. सामे ज वटवृक्ष हतुं. हजारो
माणसो आतुरनयने ऋषभदेवने नीहाळी रह्या हता. नदी जाणे के भगवानना विरहमां
कलरव करती हती; वायराओ जोसथी वहेता थका मधुर गीतथी स्तुति करता हता; वटवृक्ष
प्रसन्नताथी झूलतुं हतुं के अहा, त्रणलोकना नाथ उपर छाया करवानुं मने महा भाग्य मळ्‌युं.
आवा वनमां बिराजमान ऋषभमुनिराजने जोतां त्रीजो आरो याद आवतो हतो.
वनना वैराग्य वातावरण वच्चे कहानगुरुए अमीरसधारा वहेवडावीने ए धन्य
मुनिदशानो अपार महिमा कर्यो ने ए दशानी भावना भावी. सौ मुग्ध बनीने सांभळी
रह्या....पछी मुनिराजनी भक्ति करता सौ आदिनाथनगरमां पाछा आव्या. (भगवाननो
जन्म अने दीक्षा बंने फागण वद ९ ना छे) सांजे मुनिराजनी खूब भक्ति थई....रात्रे
भगवान आदिनाथना दशपूर्वभवोनुं वर्णन थयुं.
फागण वद एकमे सवारमां देव–गुरुपूजन थयुं. वनना वातावरणमां बिराजमान आदिनाथ
मुनिराजना समूहपूजननुं भावभीनुं द्रश्य अनेरुं हतुं. प्रवचन पछी, रत्नत्रयधारी भगवान
ऋषभमुनिराज हस्तिनापुरी नगरीमां पधार्या अने श्रेयांसकुमार तरीके तेमने प्रथम
आहारदान दईने दानतीर्थ प्रवर्तननुं महद्भाग्य शेठश्री सोमचंदभाई पुनमचंदने प्राप्त थयुं
हतुं. आहारदाननो प्रसंग ए अद्भूत प्रसंग हतो. श्रेयांसराजा आदिनाथमुनिराजने ईक्षुरसनुं
आहारदान करी रह्या हता ने बीजा हजारो जीवो अत्यंत भक्तिथी एनुं अनुमोदन करी रह्या
हता. मुनिराजने आहारदान आपतां सौनुं चित्त अति प्रसन्न थतुं हतुं. आ चोवीसीमां
दानतीर्थप्रवर्तननो ए प्रसंग फरीने ताजो थतो हतो. श्रेयांसकुमारने आदिनाथ साथेनो नव
भवनो संबंध, अने प्रभुने जोतां ज एनुं जातिस्मरणज्ञान–वगेरे रोमांचकारी प्रसंगो नजरे
तरवरता हता. आहारदान पछी आखी नगरीमां जयजयकार अने पुष्पवृष्टि थती हती. अने
भीड तो एटली हती के, श्रेयांसकुमारने अभिनंदवा माटे सैन्य सहित भरतराजा आवी
पहोच्यां के शुं! ईक्षुरसना आहारदान बाद चारेकोर ईक्षरुसमांथी