Atmadharma magazine - Ank 307
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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* श्री कहान–रत्नचिंतामणि–जयंतिमहोत्सव विशेषांक *
: वैशाख : २४९प आत्मधर्म : ३९ :
जन्मधामवाळा जूना घरने स्थाने एवुं ज नवुं जन्मधाम बांधवा माटे २००९ ना वै.
सुद पुनमे पू. बेनश्रीबेनना हस्ते शिलान्यास थयुं. उपरना भागमां
सीमंधरभगवाननी वेदिका तथा नीचे जन्मधाममां स्वस्तिक–स्थापन, अने बाजुमां
‘उजमबा–स्वाध्यायगृह’ नी रचना थई. पोष वद त्रीजे तेनुं उद्घाटन थयुं. ए
प्रसंगनो उत्सव घणो भव्य हतो. गुरुदेवनुं जन्मधाम भक्तोने माटे दर्शनीय बन्युं छे.
गुरुदेव ज्यारे उमराळा पधारे त्यारे जन्मधाममां खास भक्ति थाय छे.
सौराष्ट्रमां ठेर ठेर जिनेन्द्रप्रतिष्ठा: ने गिरनारयात्रा
सं. २०१० नी सालने आपणे ‘जिनेन्द्रप्रतिष्ठानुं वर्ष’ कही शकीए सौराष्ट्रमां
ठेर ठेर तैयार थई गयेला दि. जिनमंदिरोमां प्रतिष्ठा करवा माटे गुरुदेवे सोनगढथी
पोष वद त्रीजे मंगल विहार कर्यो. उमराळामां जन्मधाम तथा स्वाध्यायगृहनुं उद्घाटन
थया बाद तेमां गुरुदेवे सुहस्ते समयसारनी स्थापना करी. अनेक गाम–शहेरोमां थईने
माह सुद दसमे पू. गुरुदेव गिरनारसिद्धिधामनी यात्राए पधार्या, ने ११–१२ ना रोज
एक हजार जेटला यात्रिकोना संघ साथे गिरनारसिद्धिधामनी यात्रा घणा ज
भक्तिभावपूर्वक करी. ठेरठेर वैराग्यभर्या उद्गारोपूर्वक गुरुदेवे नेमनाथप्रभुनुं अने
गिरनारमां विचरेला धरसेनस्वामी कुंदकुंदस्वामी वगेरे संतोनुं स्मरण कर्युं. पू. बेनश्री–
बेने ठेरठेर भक्तिवडे अद्भुत वैराग्यरस रेलाव्यो. गुरुदेवे संघसहित गिरनारधामनी
आ बीजी यात्रा करी. आ यात्रा पछी जुनागढ शहेरमां जिनेन्द्रदेवनी मोटी रथयात्रा
नीकळी हती. लोको कहेता के आवी रथयात्रा अमे जुनागढमां कदी जोई नथी. गुरुदेव
साथे सौराष्ट्रना तीर्थोनी यात्रा तो थई. हवे भारतना महानतीर्थो–सम्मेदशिखर
वगेरेनी यात्रा गुरुदेव साथे थाय एवी भावना घणा भक्तोना हृदयमां घूंटाती हती.
गिरनारसिद्धिधामनी यात्रा करीने गुरुदेव पोरबंदर–मोरबी–वांकानेर पधार्या.
ए त्रणेय शहेरोमां नूतन जिनमंदिरोमां पंचकल्याणक–प्रतिष्ठानो भव्य महोत्सव
उजवायो. त्यारबाद वढवाणशहेर, सुरेन्द्रनगर, राणपुर, बोटाद अने उमराळामां पण
नूतन जिनालयमां वेदीप्रतिष्ठाना भव्य महोत्सवो उजवाया. उमराळा एक तो
गुरुदेवनुं जन्मधाम ने तेमां वहाला सीमंधरनाथनी पधरामणी! ए प्रसंगना उत्सवनुं
शुं कहेवुं! गुरुदेवे रत्नोना अर्घवडे प्रभुने पोताना आंगणे वधाव्या हता; ने पुष्पवृष्टि
माटे खास विमान (हेलीकोप्टर) आव्युं हतुं. आम मात्र ४ मासमां आठ
प्रतिष्ठामहोत्सव थया! सौराष्ट्र आखुं जिनेन्द्रप्रभावथी गाजी ऊठ्युं. आवा महान
कार्यो करीने गुरुदेव ज्यारे सोनगढ पधार्या त्यारे हाथी उपरथी पुष्पवृष्टि करीने
भक्तोए महान भावभीनुं स्वागत कर्युं.