Atmadharma magazine - Ank 308
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: १४ : आत्मधर्म : जेठ : २४९प
सम्मेदशिखर वगेरे मंगलतीर्थोनी महान यात्राना आनंदकारी स्मरणोथी ने
तीर्थमहिमाथी भरेलुं पुस्तक दीवाळीप्रसंगे प्रकाशित थयुं. तीर्थयात्रा संबंधी साहित्यमां
आ ‘मंगल तीर्थयात्रा’ पुस्तक अनेरी भात पाडे छे.
फरी फरीने यात्रा.....पुनःपुन: प्रतिष्ठा......
मध्य प्रदेशना प्रवासेथी पाछा फर्याने छ मास थया त्यां तो फरीने मोटो
प्रभावशाळी प्रवास आव्यो–एमां सौराष्ट्र ने गुजरात तथा दक्षिण देशना महानतीर्थो–
श्रवणबेलगोलना बाहुबली, मूडबिद्री, कुन्दाद्रि अने पोन्नूर वगेरेनी यात्रा थई. आ
यात्रा द्वारा गुरुदेवे पोन्नूरना असाधारण महिमाने भारतभरमां प्रसिद्ध कर्यो. आ
यात्रामां गुरुदेवनो आनंदोल्लास अपूर्व हतो. कुंदकुंदस्वामी प्रत्येनी भक्तिनो पार न
हतो. हजार जेटला यात्रिकोए घणा उत्साहथी यात्रा करी हती. ने दक्षिणदेशनो
जैनसमाज तो अतीव प्रभावित थयो हतो. पोन्नूर यात्रामां आसपासना लगभग
पांच हजार माणसो आव्या हता, पोन्नूर पासे तो मोटो मेळो भरायो हतो.
कुंदकुंदस्वामीना अजोड महिमाने गुरुदेव भक्तिपूर्वक प्रसिद्ध करी रह्या छे. ‘अत्यारे ज
जाणे अहीं बेठाबेठा कुंदकुंदस्वामी शास्त्रो लखी रह्या होय के शुद्धात्मानुं चिन्तन करी
रह्या होय’–एवी ऊर्मिओ पोन्नूरना कुदरती वातावरणमां जागे छे.
पोन्नूरनी यात्रा बाद गुरुदेव राजकोट पधार्या त्यां समवसरणमंदिर अने
मानस्तंभमंदिरनुं शिलान्यास घणा उमंगभर्या वातावरणमां थयुं. पछी रखियालमां
जिनमंदिरनो वेदीप्रतिष्ठामहोत्सव पण कोई अनेरा उत्साहथी उजवायो. गुरुदेवना
दर्शन अने प्रवचनथी गुजरातनी जनता खूब प्रभावित थई. बोटादमां पण
प्रतिष्ठामहोत्सव उजवायो. आम पगले पगले जिनेन्द्रशासननी प्रभावना करता करता,
ठेरठेर भगवंतोने स्थापता स्थापता ने जिनेन्द्रोनो अध्यात्मसंदेश गामेगाम पहोंचाडता
पहोंचाडता गुरुदेव मुंबई पधार्या; मुंबईमां गुरुदेवनी ७पमी जन्मजयंतीनो हीरक
महोत्सव अने जिनेन्द्रदेवनी पंचकल्याणकप्रतिष्ठानो भव्य महोत्सव अत्यंत आनंदपूर्वक
उजवायो.......भारतना हजारो भक्तोनां हैया अने मुंबई नगरीना लाखो नागरिको ए
उत्सव जोईने मुग्ध बन्या. जेनो अहेवाल आप हवे पछीना त्रीजा भागमां वांचशो.
एकवीसमी सदीना २०१० थी २०२० सुधीना दसकाने आपणे ‘यात्राना अने
प्रतिष्ठाना दसका’ तरीके गणावी शकीए. जेमां गुरुदेवनी हीरकजयंती उजवाई एवा ए