Atmadharma magazine - Ank 308
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २४९प आत्मधर्म : २५ :
मढेलो सुंदर अभिनंदनग्रंथ गुरुदेवने अर्पण कर्यो; ते वखते गुरुदेव प्रत्ये बहुमान
व्यक्त करतां शास्त्रीजीए कह्युं के– ‘मुझे बडी प्रसन्नता हुई, मैं फिर एकवार अपना
आदर सन्मान और श्रंद्धांजलि प्रगट करता हूं; और यह निवेदन करता हुं कि, जो
मार्ग–जो रास्ता अहिंसा और शांतिका, चारित्रका, नैतिकताका आप दिखाते हैं उस पर
यदि हम चलेंगे तो उसमें हमारा भी भला होगा, समाजका भी होगा, व देशका भी
होगा.’
भावि राष्ट्रनायक
अभिनंदी रह्या छे
भावि तीर्थनायकने–
पू. गुरुदेवद्वारा थयेला जैनशासनना प्रभावनी गौरवगाथा गाता आ
अभिनंदन ग्रंथमां, सौथी पहेलां मंगल तोरणस्थाने पचरंगी श्री चोवीस
तीर्थंकरभगवंतो एवा शोभी रह्या छे के जाणे गुरुदेव उपर मंगल–आशीर्वाद वरसावता
होय. अने झवेरातथी झगझगता एना मुखपृष्ठना अक्षरो ग्रंथना गौरवने प्रकाशी रह्या
छे. मुमुक्षुओनां हृदयनी हार्दिक उर्मिओ एमां भरेली छे. केटलाय उत्तम प्रसंगो, केटलाय
चित्रो, अने पचासेक शास्त्रो उपरनां गुरुदेवनां प्रवचनो पण तेमां छे. आखोय ग्रंथ