Atmadharma magazine - Ank 308
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: ३६ : आत्मधर्म : जेठ : २४९प
जीवनी आ ज स्थिति छे. त्यांना ए ‘अनाथ’ बाळकोने गुरुदेवे प्रेमभर्यो बालोपयोगी
उपदेश आप्यो हतो ने तेमने माटे ‘जैनबाळपोथी’ आपवामां आवी हती.
ता. २२–४–६प ना रोज, सम्मेदशिखरजी तीर्थधाम संबंधमां दिगंबर जैन
समाजना संपूर्ण हक्कोनी रक्षा थाय, ने समग्र जैनसमाज हळीमळीने रहे–ते बाबतमां
राजकोट अने सौराष्ट्रना समस्त दिगंबर जैनसमाज तरफथी एक ठराव करवामां
आव्यो हतो. –आ ज अरसामां दिल्ही पाटनगरमां एक लाख जेटला दिगंबर जैनोनुं
सरघस वडाप्रधान श्री लालबहादुर शास्त्रीजीने मळ्‌युं हतुं, ने समाजनी लागणीओ
व्यक्त करी हती.
राजकोटमां एककोर सीमंधरनगरमां सीमंधरनाथनो सन्देश हजारो श्रोताओने
गुरुदेव संभळावता हता, तो सामे आरसना समवसरण अने मानस्तंभनी बाकीनी
रचनाओ पूरी करवा झडपभेर काम चालतां हतां, ने साथे साथे पंचकल्याणक उत्सवनी
तैयारीओ चालती हती......परंतु ए बधानी तैयारी थाय त्यारपहेलां तो वैशाख सुद
बीजी ऊडती ऊडती राजकोटमां आवी पहोंची ने कहानजन्मनी मीठी वधाई लेती
आवी. एकाएक घंटनादथी पाटनगरना प्रजाजनो झबकीने जागी ऊठ्या. आजना
प्रवचनमां बीजनुं द्रष्टांत आपीने गुरुदेवे बोधीबीजनो महिमा समजाव्यो. हजारो
भक्तोए जन्मोत्सवनी खुशाली व्यक्त करी. ७६ दीपकोथी जिनदेवनी आरती थई;
बालिकाओए गुरुजन्मनुं ‘आनंद नाटक’ कर्युं आ रीते गुरुदेवनो जन्मोत्सव ऊजवीने
सौराष्ट्रनुं पाटनगर धन्य बन्युं.
वैशाख सुद १ थी १२ सुधी पंचकल्याणक प्रतिष्ठानी विधि थई; कल्याणकनां ए
पावन द्रश्यो जोईने धर्मप्रेमी जनता आश्चर्यमुग्ध बनी. वैशाख सुद बारसे तो ए
समवसरण सीमंधरनाथ वडे शोभी ऊठ्युं. अहा! साधकोना प्रतापे आ भरतक्षेत्रमां
पण सीमंधरनाथनुं समवसरण आव्युं–एक रीते जोईए तो विदेहना समवसरणमां
सीमंधरप्रभु बोले छे ने भरतना समवसरणमां मौन बेठा छे, –एटलो ज फेर छे ने! –
परंतु बीजी रीते जोईए तो, सीमंधरनाथ विदेहमां जे उपदेश आपी रह्या छे ते उपदेश
साक्षात् सांभळीने तेनो सार कहानगुरुद्वारा आपणने भारतमां पण मळी ज रह्यो छे.
अने त्रीजी रीते जोईए तो कहानगुरुना हृदयमांथी ज एक भावितीर्थंकरनो दिव्य नाद
नीकळी रह्यो छे. –वाह, केवुं मधुर छे गुरुदेवनुं जीवन! ने केवा मधुर छे एनां अतीत–
अनागतनां संभारणां!