गुरुदेव जामनगर तेमने दर्शन आपवा गया हता. ए प्रसंगे जामनगरमां केटलाय
जिज्ञासुओए गुरुदेवना प्रवचननो लाभ लीधो हतो.
आ फागण सुद बीजे सोनगढ–जिनमंदिरमां सीमंधर भगवाननी प्रतिष्ठाना
पच्चीस वर्षनी पूर्णतानो महान रजतजयंतीउत्सव उजवायो हतो आम तो प्रतिष्ठानो
ए दिवस दरवर्षे आठ दिवस सुधी बहेनोमां गीत–भक्तिपूर्वक उजवाय ज छे, पण आ
रजतजयंतीना उत्सवनो उल्लास अद्भुत हतो. पचीस वर्ष पहेलां बंधायेलुं ३प फूट
ऊंचुं जिनमंदिर पचीस वर्षमां तो ७प फूट ऊंचुं थई गयुं, –जाणे के गुरुदेवनी
प्रभावनावृद्धि साथे ते पण वधवानी हरीफाई करतुं होय! मंदिरनी अंदर सुंदर
पौराणिक चित्रो दीवालमां कोतरेलां छे. –अने सीमंधर भगवाननी शोभा तो एवी
अद्भुत छे के जेवी अद्भुत साधकनी परिणति! सोनगढमां आवीने एकवार पण ए
दिव्यप्रभुनी प्रशांत मुद्रा जोनार जीवनभर एने भूलता नथी, साधकसन्तोद्वारा हंमेशां
जेमनुं स्तवन थतुं होय–ए साध्यना महिमानी शी वात! अहा, उत्सव वखते