Atmadharma magazine - Ank 308
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: ४८ : आत्मधर्म : जेठ : २४९प
हती. ए ज समये कडक करफ्यु (घर बहार नीकळवानो कडक प्रतिबंध) आवी पड्यो,
तोपण उत्सव तो चालु ज रह्यो. चारेकोर भरी बंदूक ताकीने लश्कर फरतुं होय तेनी वच्चे
पण जगतमां परम अहिंसानो ध्वज फरकावनार जिनदेवनी प्रतिष्ठानो उत्सव उजवातो
हतो. –ते देखीने आश्चर्य थाय तेवुं हतुं. मुलतान नगर (के ज्यांंना साधर्मीओ उपर
पंडितजीए रहस्यपूर्ण चिठ्ठी लखी हती अने हाल जे पाकिस्तानमां छे) त्यांथी आवीने
अहीं आदर्शनगरमां रहेता मुलतानी साधर्मीभाईओनी विनतीथी गुरुदेवे त्यां प्रवचन
कर्युं हतुं ने टोडरमल्लजीनो महिमा कर्यो हतो. आदर्शनगरमां नवुं जिनालय बे–त्रण लाख
रूा.ना खर्चे सुंदर बंधायुं छे. तेमां मुलतानथी साथे लावेलां सेंकडो जिनबिंब छे, तेनां
दर्शन कर्यां. सोनगढमां जे दिवसे सीमंधरप्रभुनी प्रतिष्ठा थई ते ज दिवसे (फागण सुद
बीजे) जयपुरमां पण सीमंधर भगवाननी प्रतिष्ठा थई; टोडरमल्लजी–स्मारकभवननुं
उद्घाटन थयुं; टोडरमल्लजी जे जिनमंदिरमां शास्त्रवांचन करता ते मंदिरमां बसो वर्षथी
कलश–ध्वज चड्या न हता ते पण आजे ज गुरुदेवना सुहस्ते मंगलस्वस्तिकपूर्वक चड्या;
अने त्यां ज हजारो माणसोनी सभामां ‘मोक्षमार्ग’ एक ज छे, बे नथी’ –ए विषय उपर
मोक्षमार्गप्रकाशकमांथी गुरुदेवे प्रवचन कर्युं. अहा, करफ्युना बंधनमां पडेली जयपुरनगरी
आज कंईक मुक्तिनी हवा माणती हती. टोडरमल्ल–स्मारकभवननो विस्तार ६प०००
चोरसफूट करतां वधु छे; ने तेना एक कमरामां सीमंधरभगवाननुं चैत्यालय छे. शेठ श्री
शांतिप्रसादजी शाहुनी अध्यक्षतामां टोडरमल्ल–द्विशताब्दी महोत्सवनुं उद्घाटन शेठ श्री
नवनीतलालभाईए कर्युं. ने गुरुदेवे ‘मंगलमय मंगलकरण वीतरागविज्ञान’ एना उपर
मंगलप्रवचन करीने वीतरागविज्ञाननो महिमा समजाव्यो. टोडरमल्लजी–ग्रंथमाळाना
प्रथम पुष्परूपे मोक्षमार्गप्रकाशकनी ११००० प्रत प्रकाशित थई. जयपुर उत्सव दरमियान
गुरुदेव खानियाजी तथा पद्मपुरीना जिनमंदिरोनां दर्शन करवा गया हता. सांगानेरनां
प्राचीन जिनालयोनां पण दर्शन कर्यां. सुंदरताने लीधे देश–विदेशमां प्रसिद्ध एवी आ
जयपुरनगरीने खरुं गौरव तो अहींना केटलाय जिनालयो तथा टोडरमल्लजी वगेरे अनेक
विद्वानोए ज आप्युं छे. टोडरमल्लजीना जीवन उपर बाळकोनुं सुंदर नाटक, तेम ज
सीताजीना वनवास तथा अग्निपरीक्षानुं पण सुंदर नाटक थयुं हतुं. अने, जयपुर उत्सवना
अंतिम दिवसे फागण सुद पांचमे महावीरपार्कना प्रवचनमां दसेक हजार माणसो हता. ए
द्रश्यो देखीने विद्वानो पण आश्चर्य पामता. पछी जयपुरना ईतिहासमां कदाच अभूतपूर्व
एवी जिनेन्द्रभगवाननी रथयात्रा नीकळी हती; जेमां १८ हाथी हता,