: ५० : आत्मधर्म : जेठ : २४९प
पासे आव्या ने भगवाननी वाणी सांभळी त्यारे हम भी वहां उपस्थित थे. आ दोनों
बहेनोंका आत्मा भी पुरुषभवमें वहां उपस्थित थे. ओर वे हमारे मित्र थे.
कुंदकुंदाचार्यको हमने साक्षात् देखे हैं, विशेष क्या कहें? और भी बहुत गंभीर बात है.
सीमंधर परमात्माका यहां विरह हुआ; यहां के भगवानकी बात सुनकर और आज
साक्षात् दर्शन कर हमको बहुत प्रमोद हुआ. (गुरुदेवना आ पूर्वभव संबंधी द्रश्य आप
गतांकमां जोई शकशो.)
आजे गुरुदेवना अंतरमां कोई जुदो ज उमळको हतो; एटले अंतरमां घूंटाई
रहेली एक अत्यंत महत्त्वनी सोनेरी वात जाहेर करी....सीमंधरनाथना दर्शनथी
अंतरमां जागेला विदेहक्षेत्रना मधुर संभारणा आजे गुरुदेवना हृदयमां आनंदनी
उर्मिओ जगाडता हता; ने हृदयना घणा घणा भावो खोलवानुं मन थतुं हतुं. पू. श्री
चंपाबेनने पूर्वना चार भवनुं जातिस्मरण ज्ञान छे अने पूर्वभवमां सीमंधर भगवान
पासे हतां, ते वात प्रसिद्ध करतां अत्यंत प्रमोद अने प्रसन्नताथी गुरुदेवे कह्युं के–
जुओ, अहीं सीमंधर भगवान बिराजमान छे; सीमंधरभगवाननी अहीं साक्षी
छे; आ भगवाननी साक्षीमां अहीं ए वात प्रसिद्ध करुं छे के आ चंपाबेनने (सामे
बेठेलां छे तेमने) चार भवनुं जातिस्मरण ज्ञान छे. आ बंने बहेनो (चंपाबेन अने
शान्ताबेन) पूर्वे महाविदेह क्षेत्रमां भगवान पासे हतां, त्यांथी अहीं आव्या छे. आ बे
बेनो, हुं तथा बीजा एक भाई हता–एम चार जीवो भगवाननी समीपमां हता, पण
अमारी भूलथी अमे आ भरतक्षेत्रमां आव्या. अहीं प०० वर्ष प्राचीन सीमंधर प्रभु
बिराजी रह्या छे, तेमने देखीने घणो प्रमोद थयो. आ परमात्मानी समीपमां हुं आ वात
आजे अहीं खुल्ली मूकुं छुं के आ बेनो ने अमे पूर्वे सीमंधर परमात्मा पासे हता ने आ
चंपाबेनने चार भवनुं ज्ञान छे. आत्माना ज्ञान उपरांत तेमने तो चार भवनुं ज्ञान
छे. आ सीमंधर भगवाननी साक्षीए समाजमां आ वात बहार पाडी छे. अमारा उपर
भगवाननो महा उपकार छे.
अहा, सीमंधर भगवाननी समीपमां गुरुदेवना आवा परम भावभीना
हृदयउद्गार सांभळीने श्रोताजनो हर्षानंदमां तरबोळ बन्या....यात्रामां सौ
धन्यता अनुभववा लाग्या. विदेहीनाथ सीमंधरप्रभुनी गुरुदेवे महान आनंदपूर्वक
यात्रा करावी