Atmadharma magazine - Ank 308
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: ६२ : आत्मधर्म : जेठ : २४९प
तारा पगले पगले नाथ!
झरे छे आतमरसनी धार
(प)
पंचकल्याणक–प्रतिष्ठा महोत्सवो निमित्ते
गुरुदेवे माहवद छठ्ठे सोनगढथी मंगलविहार कर्यो......
अमदावाद ने रणासणमां भव्य महोत्सवो थया, वच्चे
सोनगढमां विसामो लईने राजकोट पधार्या; अने
पछी चैत्र वद ११ मुंबई शहेरमां पधार्या.
मुंबईनगरीमां वैशाख सुद बीजे ८० मी
जन्मजयंतिनो रत्न– चिंतामणि उत्सव, तेमज
घाटकोपर अने मलाडना भव्य जिनमंदिरोमां प्रतिष्ठा
माटेनो पंचकल्याणक महोत्सव आनंदोल्लासपूर्वक
उजवायो. –एनुं वर्णन गतांकमां आपे वांच्युं. त्यार
पछीना आ छेल्लो हप्तामां मुंबईथी सोनगढ सुधीनुं
वर्णन आप वांचशो.
वैशाख सुद आठमे जिनेन्द्र भगवंतोनी प्रतिष्ठा थई, त्यार पछी पण
जिज्ञासुओनी भावना देखीने त्रण दिवस गुरुदेवे प्रवचनो चालु राख्या. वैशाख सुद
११ ना रोज दादरना जिनमंदिरनी प्रतिष्ठाने पांच वर्षनी पूर्णतानो दिवस होवाथी
गुरुदेव त्यां पधार्या हता, ने त्यां पू. बेनश्री–बेने समूहपूजन कराव्युं हतुं. भगवाननी
रथयात्रा पण नीकळी हती. मंदिर पासेना चोकमां गुरुदेवे पंदर मिनिट मंगलप्रवचन
कर्युं हतुं. एक दिवस झवेरी बजारना मंदिरे पण गुरुदेवे दसेक मिनिट प्रवचन कर्युं हतुं.
ए ज रीते मलाडना तथा घाटकोपरना जिनमंदिरोमां पण गुरुदेवे मंगलप्रवचनो कर्या
हता. एक दिवस बोरीवली खड्गासन स्थित त्रण विशाळ प्रतिमाओ (आदिनाथ तथा
भरत–बाहुबली) नुं अवलोकन करवा पण गया हता. शहेरथी दूर एकांत
वातावरणमां (नेशनल पार्क सामे) पिता–पुत्रोनी त्रिपुटी ध्यानमां ऊभी छे–ते द्रश्य
सुंदर छे. (हजी आ प्रतिमाओनी प्रतिष्ठिाविधि थयेल नथी.)