Atmadharma magazine - Ank 308
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २४९प आत्मधर्म : ६३ :
ए प्रमाणे मुंबईमां कुल २४ दिवस दरमियान विविध कार्यक्रमो पूर्ण थया; ता.
प–प–६९ ना रोज मक्षीजीमां प्रतिष्ठा निमित्ते गुरुदेव मुंबईथी विमान द्वारा ईन्दोर
पधार्या. मुंबईना विमान स्टेशन पर दोढेक हजार मुमुक्षुओए हाजर रहीने अनेरुं
वातावरण खडुं करी दीधुं. विमानमां चालीसेक जेटला यात्रिको हता–ते बधाय पण
आपणा मुमुक्षु भाई–बेनो ज हता. गुरुदेव साथे १२००० फूट ऊंचे, ने पोणाबसो
माईलनी झडपे, भक्ति करतां करतां ईन्दोर जई रह्या हता. ए वखते विमानमां
कुंदकुंदप्रभुना विदेहगमन वगेरे प्रसंगोनुं, अने चारणऋद्धिधारक वीतरागी संतोनुं
स्मरण थतुं हतुं. गुरुदेव साथे गगनविहार करतां करतां रस्तामां लांबा दोरडा जेवी
देखाती तापी अने नर्मदा नदीओने ओळंगी, रमकडां जेवा देखाता अनेक गामोने
ओळंगी, दरियाने अने पहाडने ओळंगी, पृथ्वीनुं रमणीय द्रश्य जोतां ने संतोने याद
करतां करतां सांजे सवापांच वागे ईंदोर पहोंच्या....शेठश्री राजकुमारसिंहजीनी
आगेवानीमां सेंकडो मुमुक्षुओए स्वागत कर्युं. ईन्द्रभवनना शांत वातावरणमां
गुरुदेवनो उतारो हतो.
बीजे दिवसे (वैशाख वद पांचमे) सवारे काचना मंदिरमां बिराजमान भव्य
जिनबिंबोना भक्तिथी दर्शन कर्या; अने पांचेक हजार श्रोताजनोनी सभामां गुरुदेवे
प्रवचन कर्युं, त्यार बाद तरत तिलकनगर–विस्तारमां दि. जैन समाजना सहयोगथी
बंधायेला जिनमंदिरमां भगवंतोनी प्रतिष्ठा करवा माटे गया. आ जिनमंदिरनुं
शिलान्यास सं. २०२० मां ज्यारे गुरुदेव ईंदोर पधार्या त्यारे थयुं हतुं. आ रळियामणा
जिनालयमां महावीर भगवानना ७ फूट ऊंचा अति मनोज्ञ प्रतिमा बिराजे छे. तेनी
बंने बाजु काचनी सुंदर कारीगरीवाळी वेदीमां बे जिनबिंबोने बिराजमान करवानी
विधि गुरुदेवनी उपस्थितिमां थई. त्यारबाद बपोरना प्रवचन पछी तरत गुरुदेव
ईंदोरथी मक्षीजी पधार्या, ने मक्षीजीमां पारसनाथप्रभुनी प्रतिष्ठानो महोत्सव थयो,
तथा दस हजारनी जनताए महोत्सवमां भाग लईने गुरुदेवनां प्रवचनो सांभळ्‌या.
मक्षीजीना महोत्सवनी तथा त्यांना प्रवचनोनी यादी आ अंकमां (पप मा पाने)
आपवामां आवी छे.
मक्षीजीनी वैशाख वद ७ नी सांजे गुरुदेव ईंदोर पधार्या. बीजे दिवसे वैशाख वद
आठमे काचनी कारीगरीवाळा जिनमंदिरनुं विशेष अवलोकन कर्युं. जेमां एक श्लोक हतो के–