Atmadharma magazine - Ank 308
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: ७० : आत्मधर्म : जेठ : २४९प
वधतुं जाय छे ने परोक्षपणुं तूटतुं जाय छे, –रागनुं ने ईद्रियोनुं अवलंबन छूटतुं जाय
छे. आवो मोक्षमार्ग छे, ने आवी धर्मीनी दशा छे.
अहा, जंगलमां वसता ने आत्माना आनंदमां झुलता संतोए अंदर
स्वानुभवमां भगवान साथे वातुं करतां करतां आ वात लखी छे. जगतनां भाग्य
के आ पंचमकाळमां आवा मुनिओ पाक्या. वाह, ए संत–महंतनी अंर्तदशा!
पंचपरमेष्ठीमां जेनुं स्थान छे, जेनां दर्शनथी मोक्षनी प्रतीत थई जाय! एवा ए
कुंदकुंदाचार्य जेवा मुनिओ ज्यारे साक्षात् विचरता हशे–त्यारे तो जाणे के चालता
सिद्ध! तेमणे अंतरमां अनुभवेलो आत्मा आ शास्त्रोमां प्रसिद्ध कर्यो छे.
अलिंगग्रहण शब्दना २० अर्थो करीने आत्मानुं स्वरूप समजाव्युं छे. ए संतोना
चरणोमां नमस्कार हो.
वैराग्य समाचार
भावनगरना भाईश्री हिंमतलाल हरगोविंददास (–के जेओ सोनगढ संस्थाना
ट्रस्टी पण छे–) तेमना पुत्री कुसुमबेन ता. १–प–६९ ना रोज हार्टफेईलथी स्वर्गवास
पाम्या छे. देव–गुरु–धर्मनी उपासना वडे तेमनो आत्मा आत्महित पामे–ए ज
भावना.
नरोडा (अमदावाद) ना भाईश्री अमृतलाल लहेरचंदना धर्मपत्नी शान्ताबेन
वैशाख सुद पांचमना रोज हृदय रोगना हुमलाथी स्वर्गवास पाम्या छे. तेओ अनेक
वर्षोथी सोनगढ आवीने लाभ लेता. गत फागण मासमां अमदावादथी हिंमतनगर
जतां गुरुदेव तेमने त्यां दर्शन देवा पधार्या हता. देव–गुरु–धर्मनी उपासना वडे तेओ
आत्महित पामे–ए ज भावना.
वासणा चौधरीना भाईश्री सोमचंदभाई (ते ब्र. केशवलालजीना नाना भाई)
वैशाख वदी १२ ना रोज स्वर्गवास पाम्या छे. तेमणे गुरुदेव साथे यात्रा करेली,
अवारनवार सोनगढ पण आवता, अने छेल्ले रणासण–प्रतिष्ठा वखते पण आवेला.
धर्मसंस्कारमां आगळ वधीने तेओ आत्महित साधे ए ज भावना.