Atmadharma magazine - Ank 308a
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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:१२ : आत्मधर्म : प्र. अषाड : २४९प
जिनमंदिरोमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठाना ५ण महोत्सव निमित्ते, तेमज मुंबईमां ८० मी
रत्नचिंतामणि–जन्मजयंतीना महोत्सव निमित्ते गुरुदेवे माहवद छठ्ठना रोज सोनगढथी
मंगल प्रस्थान कर्युं. राणपुर थईने अमदावाद पधार्या. सवालाख जेटला जैनोथी
शोभतुं गुजरातनुं आ पाटनगर जिनेन्द्रदेवना पंचकल्याणकथी शोभी ऊठ्युं. विशाळ
जिनबिंबनी वीतरागीप्रभाथी भव्य जिनालय शोभी रह्युं छे. नेमिप्रभुनो ए
जन्मकल्याणक ने दीक्षा वगेरे अद्भुत प्रसंगो देखीने अमदावादनी जनता मुग्ध बनी.
अमदावादनुं आ शिखरबद्ध जिनालय (खाडिया विस्तारमां) पांचेक लाख रूा. ना खर्चे
तैयार थयेल छे. पाटनगरमां आवा भव्य जिनालयथी गुजरात गौरववन्तुं बन्युं.
आदिनाथभगवाननुं आ जिनालय फिरोजाबादना जिनालयने याद करावे छे. सवालाख
जेटला जैनोथी भरेली आ नगरीनुं अने जैनसमाजनुं गौरव वधारनारी एक वातनो
उल्लेख करवो जरूरी छे के, आठ दिवसनो भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव दिगंबर
जैनसमाजनो होवा छतां, अमदावादना श्वेतांबर जैनसमाजे अत्यंत मध्यस्थता राखीने
तेम ज शक्य एटलो सहकार आपीने आखा जैनसमाजनुं गौरव वधार्युं छे. जराय
विखवाद फेलाय एवुं परस्पर क्यांय बन्युं नथी. अमदावाद माटे आ शोभानी वात छे;
ने साराय भारतभरमां आ प्रकारे परस्पर बंधुत्वनुं–सहकारनुं वातावरण फेलाय ते
हवे भगवानना अढी हजारमा निर्वाणोत्सव प्रसंगे अत्यंत जरूरी छे. अमदावादनो
प्रतिष्ठा–महोत्सव अद्भुत हतो. चार–चार हाथी अने बीजा अनेक ठाठमाठ सहित
जिनेन्द्रदेवथी रथया५ा लाखो दर्शकोने आनंद पमाडती हती. जिनमंदिरमां विशाळ कमळ
उपर सवापांच फूट उन्नत पद्मासने प्रभु आदीश्वरदादा बिराजी रह्या छे, –जेमनो
वीतरागी वैभव मुमुक्षुओने मुग्ध करे छे.
अमदावादना आनंदकारी उत्सव बाद देहगाम, रखियाल, तलोद, अने
बामणवाडा थईने मुनाई पधार्या, त्यां स्वाध्याय मंदिरनुं उद्घाटन थयुं ने आखा
गामनी जनताए आनंदथी उत्सव ऊजव्यो. पछी भीलोडा गाममां प्राचीन जिनालयना
आनंदपूर्वक दर्शन–भक्ति करीने फागण सुद ११ ना रोज रणासण गामे पधार्या. नाना
गाममां पण मोटो पंचकल्याणक उत्सव अमदावाद जेवो ज उजवायो. मा५ पांचेक घर
दि. जैनोना होवा छतां दोढेक लाख रूा.ना खर्चे ५ण शिखरथी सुशोभित जिनालय
बंधायुं छे. ‘जंगलमां मंगल’ जेवो महान उत्सव अहीं उजवायो......आदिनाथप्रभुना
पंचकल्याणकथी रणासण जाणे अयोध्या बनी गयुं होय एवुं शोभतुं हतुं. बे हजारनी