जैन: चंद्रलोक बाबत आपना प५ोनो
खुलासो आ अंकमां मळी जशे.
वांचवुं गमे छे. स्कुलनी परीक्षाना समये
पण आत्मधर्मनो नवो अंक आव्यो
होय तो प्रथम तेने हुं वांचुं छुं.’ साथे
तेमणे नीचेनुं जोडकणुं पण लख्युं छे–
आतमधर्म हसतुं आवे....
वेश
आत्मधर्म हसतुं आवे......
एकबीजा उपर उभा राखीए तेटली ऊची)
प्रतिमा मैसुर पासे श्रवणबेलगोलमां छे. आ
भव्यप्रतिमाना दर्शन भारतना बे
वडाप्रधानोए कर्या छे. ते बे वडाप्रधान
कोण? एक तो पं. जवाहरलालजी नहेरु अने
बीजा ईन्दीराजीबेन गांधी; भारतना ए
बंने वडाप्रधानो पहाड पर अडोल ऊभेला
बाहुबली भगवानने देखीने आश्चर्यमां पडी
गया हता. तेमने एम थयुं हशे के अरे!
आवडा मोटा भगवान पासे अमे तो केटला
नाना छीए!
‘आत्मवैभव’ पुस्तक दररोज वांचु छुं, १७
शक्ति वांची नांखी छे; आत्मशक्तिओ बहु
आनंद आपे छे. आ सिवाय ७प मी
जन्मजयंतिनुं पुस्तक (अभिनंदन ग्रंथ)
वांचु छुं. में दर्शनकथा, बे सखी, अकलंक–
निकलंक, महाराणी चेलणा, जैनबाळपोथी
वगेरे पुस्तको वांच्या छे. हवे हुं
भरतेशवैभव वांचीश.्य
केवो रस लई शके छे–तेनो आ एक दाखलो
छे. आ प५ छ मास पहेलांनो छे; अत्यारे तो
तेणे आत्मवैभव वगेरे पुस्तको पूरा करी
लीधा हशे. धन्यवाद!