Atmadharma magazine - Ank 311
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: ८ B : आत्मधर्म : भादरवो : २४९प

* सोनगढमां पू. श्री कानजी स्वामी सुखशांतिमां बिराजमान छे; दसलक्षणपर्व
आनंदमंगळपूर्वक उजवाया. सवारे पद्मनंदी–पचीसीमांथी दशधर्म उपरांत समयसार
(आस्रव तथा संवरअधिकार) अने बपोरे नियमसार (शुद्धभावअधिकार) उपर
प्रवचनो थया हता.
* सोनगढमां परमागम–मंदिरनुं शिलान्यास
भादरवा सुद बीजना रोज सोनगढमां परमागम–मंदिरनुं शिलान्यास थयुं हतुं.
आ प्रसंगे खास करीने मुंबईना तेमज बीजा अनेक गामोना मुमुक्षुओ आव्या हता ने
उल्लासभर्या वातावरण वच्चे आफ्रिकावाळा शेठश्री भगवानजीभाईए अने तेमना
कुंटुंबीजनोए शिलान्यास कर्युं हतुं. आ आगममदिर करवा माटेनी जाहेरात मुंबईमां
रत्नचिंतामणि–जन्मजयंति प्रसंगे थई हती. शिलान्यास पहेलां प्रवचनमां गुरुदेवे
जिनवाणीनो महिमा समजाव्यो हतो अने आत्मामां भावश्रुतरूप जिनागमनी प्रतिष्ठा
करवानी प्रेरणा आपी हती, –जेनो सार आ अंकमां आप्यो छे. सोनगढनुं आ
आगममंदिर, स्वाध्यायमंदिरना विशाळ चोगानमां ८० फूट लांबु ने ४० फूट पहोळुं
थशे, अने तेनी दीवालो आरसमां कोतरेला समयसारादि जिनागमोवडे शोभी ऊठशे.
जो के गुरुदेवना प्रतापे कुंदकुंद प्रभुना समयसारादि परमागमोनो महान महिमा अने
प्रभावना भारतभरमां थई ज रह्या छे, ते उपरांत आ आगममंदिर ते सूत्रोना विशेष
महिमाने प्रसिद्ध करशे. तेनुं शिलान्यास करवानुं पोताने सद्भाग्य मळ्‌युं तेना
उल्लासमां शेठश्री भगवानजीभाईए मोटी रकमनो फाळो आ कार्यमां आप्यो हतो. ते
उपरांत जिनवाणीनी प्रतिष्ठाना आ मंगलकार्यना प्रारंभप्रसंगे जाणे कुंदकुंदप्रभुनो ज
फरीने साक्षात्कार थतो होय एवो परम उल्लास पू. बेनश्रीबेन बंने बहेनोए प्रसिद्ध
कर्यो हतो ने जिनवाणीनी अद्भुत भक्ति करावीने, फरीने एकवार दिव्यध्वनि
संभळाववा सीमंधर प्रभुजीने विनति करी हती. आम आनंदोल्लासपूर्वक शिलान्यास
विधिनो उत्सव थयो हतो. आ प्रसंगे आगममंदिर माटे (अगाउना फंड उपरांत) रूा.
सवालाख जेटली रकमोनी उत्साहभरी जाहेरात थई हती.
* कानातळावमां जिनमंदिरनुं शिलान्यास
भादरवा सुद त्रीजना रोज सोनगढथी केटलाक मुमुक्षुभाईबहेनो कानातळाव