Atmadharma magazine - Ank 313
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: ४२ : : कारतक : २४९६
अमे जिनवरना संतान (नवा सभ्योना नाम)
२४०४A जयश्रीबेन एन. जैन अमरापुर २४१८A विनोदकुमार जैन राधौगढ
२४०४B रंजनाबेन एन. जैन २४१८B कुसुमकुमारी जैन
२४०४C मीनाक्षीबेन एन. जैन २४१९A अजयकुमार एस. जैन
२४०४D किर्तीदाबेन एन. जैन २४१९B अनीलकुमार एस. जैन
२४०४E मुकेशकुमार एन. जैन २४१९C चंद्राबाई एस. जैन
२४०प रामसंगभाई डी. जैन वढवाण २४२०A विजयकुमारी बी. जैन
२४०६ दशरथसिंहजी के. जैन २४२०B प्रेमकुमारी बी. जैन
२४०७ हर्षाबेन एस. जैन २४२०C लक्ष्मीकुमारी बी. जैन
२४०८ नरेन्द्रकुमार एम. जैन २४२१A उर्मीलाबेन जैन
२४०९ केतनकुमार के. जैन २४२१B उषाबेन जैन
२४१० कमलेशकुमार ए. जैन २४२१C संतोषकुमार जैन
२४११ राजेशकुमार टी. जैन २४२२A सुरेन्द्रकुमार जैन
२४१२ मीनाकुमारी टी. जैन राधौगढ २४२२B साधनाकुमारी जैन
२४१३ कपुरीदेवी एफ. जैन २४२२C अविनाशकुमार जैन
२४१४ राजकुमारी जी. जैन २४२२D मंजुकुमारी जैन
२४१प रविकुमारी जैन २४२२E कल्पनाकुमारी जैन
२४१६B मीनाकुमारी जैन २४२३ मुकेशभाई जैन वढवाण
२४१७A विजयकुमारी के. जैन २४२४ नयनाबेन जैन वढवाण
२४१७B प्रमोदकुमारी के. जैन २४२प शैलेशकुमार नथुभाई. जैन वीजापुर
२४१६A विनयकुमार जैन

ज्यां सुधी–
जीवने ज्यांसुधी उपादान–निमित्तनी स्वतंत्रतानुं ज्ञान न थाय, ज्यां सुधी जड–
चेतननी भिन्नताने ते न ओळखे, अने जीव पोते ज्ञानस्वरूप छे एटले तेनुं ज्ञान कोई
बीजामांथी नथी आवतुं–आटली जैन सिद्धांतनी मूळ वात ज्यां सुधी न समजे, त्यां
सुधी ते जीवने आत्मज्ञाननी के साधुपणानी पात्रता होई शकती नथी.
आत्मधर्मना घणा पाठको तरफथी अभिनंदन–संदेश मळ्‌या छे;
संपादक पण सौ साधर्मीओने धर्मवात्सल्य सहित अभिनंदन पाठवे छे.