Atmadharma magazine - Ank 314
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: ३४ : : मागशर : २४९६
*पंचास्तिकायना केटलाक प्रवचनो आ अंकमां छपाया छे. आ उपरांत द्रव्यना
त्रण लक्षण संबंधी एक मोटो लेख प्रेसमां छापवा आपेल, पण पृष्ठसंख्यानी मर्यादाने
कारणे ते लेख आ अंकमां छापी शकायो नथी, एटले पाछो आवेल छे. अवारनवार आ
रीते महत्त्वना लेखो पण बाकी राखवा पडे छे.
बालविभागना सभ्योने दीपावलीअभिनंदन कार्ड मोकलवामां आव्या हता; आ
माटे स्व. बालसभ्य कुमारी उषाबेननी स्मृतिमां भाईश्री वृजलाल मगनलाल
(जलगांव) तरफथी रूा. १०१) आपवामां आव्या हता; तथा बीजा रूा. १०१)
बालविभागना सभ्यो चेतन–अतुल–जिनेश नवनीतलाल दोशी (घाटकोपर) तरफथी
बालविभागमां आव्या हता.
* राधौगढमां श्री बालुभाईना प्रयत्नथी पाठशाळा चालु थयेल छे;
जैनबाळपोथी वगेरे शिखवाय छे, तेमां बाळको उत्साहथी भाग ल्ये छे, ने सारी
जागृति थई छे. धन्यवाद! (बीजा गामो पण आनुं अनुकरण करे)
सर्वज्ञनी कृपा
पोताना ज्ञानमां जेणे सर्वज्ञनो निर्णय कर्यो छे अने अंतर्मुख थईने
ज्ञानस्वभावनी सम्यक्प्रतीति–ज्ञान–रमणता प्रगट करीने जे मोक्षमार्गी थया छे एवा
धर्मात्मा, सर्वज्ञना उपकारनी प्रसिद्धि करतां कहे छे के अहो परमात्मा! आपनी मारा
उपर कृपा थई...आपनी कृपाना प्रसादथी ज हुं मोक्षमार्ग पाम्यो...मोक्षरूप परम आनंद
ते खरेखर आपनी कृपानुं ज फळ छे.–कोण कहे आम? ...के जेणे पोताना हृदयमां
सर्वज्ञने बेसाडीने, ज्ञानस्वभावनी श्रद्धा करी छे, एटले अंतर्मुख थईने
चिदानंदपरमात्मानी प्रसन्नता जेणे मेळवी छे...ते विनयना प्रसंगे उपकारीनो उपकार
प्रसिद्ध करतां कहे छे के अहो नाथ! आप मारा उपर प्रसन्न थया...आपनी प्रसादीथी हुं
परम आनंद पाम्यो...आपना अनुग्रहरूप कृपाथी ज हुं मोक्षमार्ग पाम्यो. आ रीते
साधक सन्तो उपर सर्वज्ञनी कृपा छे.
*पूज्य श्री कानजीस्वामीना उत्तम जीवन परिचयनुं रंगबेरंगी सुंदर पुस्तक ब्र.
हरिलाल जैन द्वारा संपादित अने मुंबई–मुमुक्षु मंडळ द्वारा प्रकाशित थयुं छे; आ पुस्तकनी
लागत किंमत त्रण रूपिया होवा छतां, मात्र एक रूपियो किंमत राखवामां आवी छे.
जन्मथी मांडीने मुंबईमां रत्नचिंतामणी जयंति सुधीना महत्त्वना प्रसंगो, प्रभावनाना
अनेक प्रसंगो, चित्रो अने तत्त्वज्ञानथी भरपूर आ पुस्तक दरेक मुमुक्षुने उत्तम प्रेरणाओ
आपे छे, ने जैनधर्मनी महत्ता समजावे छे. ते उपरांत आ पुस्तकनी बीजी ए विशेषता छे
के पू. श्री कानजीस्वामीना पोताना ज हस्ताक्षरमां पप जेटला सिद्धांतिक वचनामृतो तेमज
तीर्थयात्रा वखतना उद्गारो आपवामां आव्या छे. आपे आ पुस्तक न मेळव्युं होय तो
तुरतमां मेळवी ल्यो. (किंमत एक रूपियो; पोस्टेज सहित दोढ रूपियो)