: ३६ : : महा : २४९६
वैराग्य समाचार–
वढवाणना भाईश्री धरमशी हरजीवन मणिआरना पुत्र प्रेमचंदभाई (ते
ब्रह्मचारी ललिताबेनना भाई) ३७ वर्षनी वये पोष सुद त्रीजना रोज स्वर्गवास
पाम्या छे. तेओ अनेकवार सोनगढ शिक्षणवर्गमां पण आवी गयेला; तेमने केटलाक
वखतथी मानसिक बिमारी जेवुं हतुं. छेल्ला दिवसोमां तेओ गुरुदेवना दर्शननी भावना
पण करता. तेमनो आत्मा वीतरागी देव–गुरु–धर्मना शरणे आत्म–शांति पामो.
लाठीना भाईश्री वीरचंद वशराम (उ. व. ९०) पोष वद पांचमने मंगळवारे
स्वर्गवास पाम्या छे. तेओ हंमेश जिनमंदिरे जता अने गुरुदेव प्रत्ये खास प्रेम
धरावता हता. वीतरागी देव–गुरु–धर्मना शरणे तेओ आत्म–शांति पामो.
जेम देहनो संयोग एक क्षणमां छूटी जाय छे, तेम अंतर्मुख नजर करतां क्षणमां
आत्मा अनुभवमां आवे छे ने मोह छूटी जाय छे. वस्तु तो अविनाशी छे, तेमां नजर
करे एटली ज वार छे. निज वस्तुमां नजर करतां न्याल थवाय छे.
वैशाख सुद बीज–निबंध योजना
वैशाख सुद बीजना जन्मजयंति निमित्ते नीचेना कोई पण विषय उपर आप
निबंध लखीने, (संपादक–आत्मधर्म: सोनगढ–सौराष्ट्र) ए सरनामे लखी मोकलो. सौ
कोई भाग लई शके छे. हिंदी के गुजराती भाषामां वैशाख सुद बीज पहेलां गमे तेवडो
निबंध मोकलवो.
(१) उत्तम जीवन कया प्रकारे जीववुं?
(२) जैन समाजनी उन्नति केम थाय?
(३) वैराग्यप्रेरक उत्तम लेख, कथा के काव्य.
(४) वीर निर्वाणना अढी हजार वर्ष अने धर्मप्रचार.
(प) विद्यार्थी जीवननी साथे धर्मना संस्कार.
(६) आपणा भगवान केवा छे? तेमने केम ओळखवा.
(७) धर्मने लगता कोई पण विषय पर लखाण.
निबंध लखनार दरेक व्यक्तिने योग्य पुस्तक भेट मोकलाशे, तथा उत्तम
निबंधने माटे संपादक तरफथी एक रजतचंद्रक भेट अपाशे.