Atmadharma magazine - Ank 318
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: २ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९६
जलगांव शहेरमां जिनबिंब
वेदीप्रतिष्ठा महोत्सव
गतांकमां सोनगढथी जलगांव सुधीना प्रवासना
समाचारो तेम ज प्रवचनो आप्या हता; आ अंकमां जलगांवथी
राजकोट सुधीना समाचारो अने प्रवचनो रजु थाय छे.

शिरपूरमां पार्श्वनाथप्रभुनी पंचकल्याणक प्रतिष्ठाना भव्य महोत्सव बाद,
फागण सुद त्रीजे पू. गुरुदेव जलगांव शहेर पधार्या अने त्यां वेदीप्रतिष्ठानो मंगल–
उत्सव शरू थयो. शेठश्री वृजलाल मगनलालना सुहस्ते मंडपमां जिनबिंब स्थापन
थयुं. भगवंतोने आंगणे पधारता देखीने भक्तजनोना हैया आनंदउल्लासथी नाची
ऊठया हता. फागण सुद ४ नी सवारमां छ ईन्द्र–ईन्द्राणीनी स्थापना थई, गुरुदेवे
मंगलआशीष आप्या. प्रवचन बाद ईन्द्रोनुं सरघस जिनेन्द्रभगवाननी पूजा करवा माटे
धामधूमथी चाल्युं; तेमज साथे जलयात्रा पण नीकळी हती. बपोरना प्रवचन पछी श्री
पंचपरमेष्ठीनुं समूहपूजन थयुं. बीजे दिवसे सवारे प्रवचन पछी ईन्द्रोद्वारा
यागमंडलपूजन थयुं. बपोरना प्रवचन पछी ईन्द्रोद्वारा तथा कुमारिका देवीओ द्वारा
जिनमंदिर–वेदी–कलश–ध्वजनी शुद्धिनी विधि थई हती. आनंद–उल्लास भर्या
वातावरणमां पू. बेनश्री–बेनना सुहस्ते पण स्वस्तिकविधान वगेरे मंगलक्रियाओ थई
हती. फागण सुद छठ्ठनी सवारे ९ वागे श्री जिनेन्द्रभगवंतोने वेदी पर बिराजमान
करवाना हता, त्यार पहेलां तो दोढ कलाक अगाउ गुरुदेव जिनमंदिरे आवी पहोंच्या, ने
प्रभुभजननी भावना जागी, तेथी आदिनाथ भगवान, महावीर भगवान वगेरेनुं
भावभीनुं समूहपूजन बेनश्री–बेने कराव्युं. मंदिर तो नीचे–उपर भीडथी उभरातुं हतुं.
पूजन बाद भक्तजनोना अतीव उल्लास वच्चे गुरुकहाने श्री आदिनाथ भगवाननी
वेदी प्रतिष्ठा करी. मूळनायक भगवानने बिराजमान करवानो लाभ शेठश्री
नवनीतलालभाई झवेरीए लीधो अने तेनी खुशालीमां रूा. दशहजार ने एक
जिनमंदिरने अर्पण कर्या. ऋषभदेव भगवाननी आजुबाजुमां महावीर भगवान तथा
शांतिनाथ